Election 2024: 3 करोड़ महिलाओं को लखपति बनाने का टारगेट, क्या ‘आत्मनिर्भर दीदियां’ तय करेगी सियासत?
HIGHLIGHTS
- मोदी सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका बढ़ाते हुए उन्हें लखपति दीदी बनाने के अभियान में जुटी है।
- मोदी सरकार ने देश में 2 करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य तय किया है।
- महिलाओं के मतदान पर इसका असर दिखाई दे सकता है।
रमण शुक्ला, पटना। घर की दहलीज तक खुद को सीमित रखने वाली महिलाएं जब मोदी सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं से आत्मनिर्भर बनीं तो देश की सियासत भी उन्ही महिलाओं पर निर्भर होती जा रही है। इस बदलाव की तस्वीर को बिहार से समझा जा सकता है। केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्रालय के आंकड़े साफ बताते हैं कि साल 2014 से पहले बिहार में जीविका दीदियों की संख्या लगभग 17 लाख थी, जबकि 10 वर्षों में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी दीदियों की संख्या बढ़कर 1.30 करोड़ के पार पहुंच गई है। केंद्र सरकार की योजनाओं का ही असर है कि साल 2015 के बाद से विधानसभा चुनावों में महिलाओं की हिस्सेदारी पुरुषों की तुलना में बढ़ती जा रही है।
लखपति दीदी बनाने के अभियान
मोदी सरकार स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं की आजीविका बढ़ाते हुए उन्हें लखपति दीदी बनाने के अभियान में जुटी है। मोदी सरकार ने देश में 2 करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाने का लक्ष्य तय किया है तो इसका असर बिहार में सबसे ज्यादा देखा जाना स्वाभाविक है। महिलाओं के मतदान पर इसका असर दिखाई दे सकता है। सिर्फ बिहार की बात करें तो बिहार आजीविका परियोजना के दायरे में जीविका कार्यक्रम, साइकिल एवं पोशाक योजना और महिलाओं के लिए पंचायत एवं नगर निकायों के चुनाव में 50 प्रतिशत आरक्षण एनडीए सरकार की अहम रणनीति का हिस्सा रही है।
बिहार में महिलाओं की संख्या
साल 2014 में प्रति 1000 पुरुषों की तुलना में 877 महिलाएं थीं। वह 2019 में बढ़कर 892 और 2024 में 909 हो गई हैं। बिहार में विकास प्रक्रिया एवं निर्णय लेने में महिलाओं की भागीदारी ने न केवल बढ़ी है, बल्कि महिलाओं सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त भी हुई है। फिलहाल बिहार में जीविका के किसान उत्पादक संघों के उत्पादों की ब्रांडिंग बड़ी कंपनियां कर रही हैं। महिलाएं डेयरी व फिशरीज से लेकर खेती-किसानी तक में भूमिका निभा रहीं।
महिलाओं को रोजगार के लिए आर्थिक सहायता
बिहार में ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2006-07 में विश्व बैंक से ऋण लेकर की थी। स्वयं सहायता समूह बनाकर महिलाओं के बैंक खाते खुलवाए गए और फिर उन्हें रोजगार के लिए आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर मंच से जीविका दीदियों के कामों की तारीफ कर रहे हैं।