Abki Baar 400 Paar: जानिए भाजपा ने क्यों दिया ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा, कहां से आएंगी इतनी सीटें, समझिए पूरा गणित
HIGHLIGHTS
- उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा से सीटें बढ़ने की उम्मीद
- तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में भी भाजपा ने लगाया अतिरिक्त जोर
- भाजपा जमा चुकी सभी समीकरण, कांग्रेस रणनीति में पीछे
नीलू रंजन, नई दिल्ली (Lok sabha election 2024)। लोकसभा चुनाव के लिए नरेंद्र मोदी ने एनडीए के लिए ‘अबकी बार, 400 पार’ का नारा दिया है। यहीं भाजपा के लिए भी 370 सीट का लक्ष्य रखा गया है। सवाल यही है कि इतना अधिक सीटें कहां से आएंगी।
भाजपा ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। भाजपा ने अपना पूरा फोकस वहां लगा दिया है, जहां पिछले लोकसभा चुनावों में कुछ कसर बाकी रह गई थी। मतलब पिछले प्रदर्शन के आधार पर विपक्षी खेमा भाजपा के लिए जिन राज्यों को ‘आपदा’ बता रहा है, भाजपा के रणनीतिकार वहीं सीटें बढ़ाए जाने की गुंजाइश को ‘अवसर’ के रूप में देख रहे हैं।
इन राज्यों से एनडीए को अतिरिक्त सीटों की उम्मीद
उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश व तमिलनाडु में पार्टी अतिरिक्त जोर लगा रही है।
नई संभावनाओं वाले इन राज्यों में राजनीतिक व सामाजिक समीकरण बैठाए जा रहे हैं।
केरल में भी नए समीकरणों के साथ भाजपा खाता खोलने की उम्मीद कर रही है।
उत्तर प्रदेश में 80 में से 75 से ज्यादा सीट का टारगेट
भाजपा ने सबसे ज्यादा लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में सारे समीकरण बैठा लिए हैं। टारगेट है कि इस बार 80 में से 75 से अधिक सीटें जीती जाए। 2014 में एनडीए को यहां 73 सीट मिली थी, जबकि 2019 में 64 से संतोष करना पड़ा था।
सहयोगी अपना दल (एस) के साथ ही राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के साथ आने से पश्चिम व पूर्वी उत्तर प्रदेश में कई सीटों के समीकरण भाजपा अपने पक्ष में मजबूत होते देख रही है।
पश्चिम बंगाल में 42 में से 32-33 सीट जीतने की उम्मीद
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- पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने सभी 42 सीटों पर प्रत्याशी उतार दिए हैं। मतलब मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा के बीच होगा, जबकि कांग्रेस और वामदल मिलकर लड़ेंगे। इसका फायदा भाजपा को होने की उम्मीद है।
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- संदेशखाली का मुद्दा देशभर में गर्मा गया है। इसके बाद कहा जा रहा है कि भाजपा यदि 32-33 सीटें भी जीत ले तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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- इसके अलावा ओडिशा में बीजद से तालमेल और तेलंगाना में बीआरएस का कमजोर होना भी भाजपा के लिए उम्मीद जगा रहे हैं। ओडिशा में सभी 21 सीटें एनडीए के खाते में आ सकती है।
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- तेलंगाना में बीआरएस के कमजोर होने के बाद सीधा मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होगा। ऐसी स्थिति में हर बार भाजपा का पलड़ा भारी रहा है। भाजपा अपने दम पर तेलंगाना में आठ से 10 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।
- आंध्रप्रदेश में तेदेपा का साथ मिलने से भाजपा मजबूत हुई है। यहां गठबंधन के सहयोगियों के साथ 15 से अधिक सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है।