‘घरेलू महिला नहीं होती बेरोजगार, उनका काम करता है आर्थिक मदद’, कलकत्ता हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। कलकत्ता हाई कोर्ट ने घरेलू महिला की मौत पर मुआवजे की मांग के मामले में सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि घरेलू महिला को बेरोजगार नहीं माना जा सकता है। उनेके काम का भी मूल्य होता है, जो परिवार की आर्थिक मदद कर देता है।
कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में की टिप्पणी
कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश अजय कुमार गुप्ता ने कहा कि परिवार में घरेलू महिला के काम उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना एक कामकाजी महिला का है। वह दिन-रात बिना कोई छुट्टी लिए घर का काम करती है। आप उसी काम को किसी ओर से करवाएंगे, तो आपका उसका मूल्य चुकाना होगा। वह अपने काम से आर्थिक योगदान देती है। उन्हें बेरोजगार कहना बिल्कुल गलत होगा। न्यायाधीश अजय कुमार ने इस टिप्पणी के बाद घरेलू महिला की मौत पर साढ़े छह लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया।