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MP Cabinet Formation: मोहन कैबिनेट से शिवपुरी बाहर, एक भी विधायक को नहीं मिली जगह, पिछली बार दो MLA थे मंत्री

MP Cabinet Formation: मोहन कैबिनेट में शिवपुरी से किसी भी विधायक को स्थान नहीं मिला है। माना जा रहा है कि सिंधिया परिवार के राजनीति से दूरी बनाए जाने के कारण शिवपुरी का वर्चस्व कम हुआ है।

HIGHLIGHTS

  1. कैबिनेट में शिवपुरी को नहीं मिली जगह
  2. सिंधिया परिवार ने शिवपुरी की राजनीति से बनाई दूरी
  3. दूरी बनाने से कम हुआ वर्चस्व

MP Cabinet Formation  शिवपुरी। प्रदेश की नई सरकार के पहले मंत्रिमंडल का गठन हो गया है जिसमें 28 मंत्री बनाए गए हैं। करीब दो दशक के बाद शिवपुरी जिले से किसी भी विधायक को कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। पिछली सरकार में शिवपुरी से एक कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री थे।

 
 

शिवराज सरकार में शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया लगातार मंत्री रही हैं। यशोधरा राजे सिंधिया शिवराज सरकार में वर्ष 2005 से ही मंत्री रहीं। उन्होंने खेल मंत्रालय और उद्योग मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले हैं।

 

इस बार भाजपा ने यहां पांच में से चार सीट पर जीत दर्ज की। यहां से देवेंद्र जैन और महेंद्र यादव की दावेदारी मजबूत मानी जा रही थी, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी है। राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो सिंधिया परिवार के शिवपुरी से दूरी बनाने के कारण प्रभाव कम हुआ है।

यशोधरा राजे सिंधिया ने चुनाव ही नहीं लड़ा और एक कार्यक्रम के दौरान यहां तक कह दिया कि अब इसे मेरा शिवपुरी से गुड बाय समझिए। वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना-शिवपुरी से पिछला लोकसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद वे शिवपुरी में कम सक्रिय रहे और उनका अधिकांश समय ग्वालियर में ही बीतता है। इस बार शिवपुरी से उनके सिर्फ एक समर्थक महेंद्र यादव को जीत मिली। जो एक सीट शिवपुरी से भाजपा हारी वह भी सिंधिया समर्थक सुरेश राठखेड़ा की रही।

 

 
 

 

पूरी लोकसभा का सूपड़ा साफ, किसी को नहीं मिला पद

 

मंत्रिमंडल में सिर्फ शिवपुरी ही नहीं, बल्कि पूरी गुना-शिवपुरी लोकसभा को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पिछली सरकार में इस लोकसभा सीट से तीन मंत्री थे। यशोधरा राजे सिंधिया के साथ महेंद्र सिसौदिया और ब्रजेंद्र यादव को भी मंत्री मंडल में जगह मिली थी। पोहरी से भी सुरेश राठखेड़ा मंत्री थे, लेकिन पोहरी ग्वालियर विधानसभा में आता है। यदि पूरी लोकसभा की बात करें तो करीब चार दशक बाद ऐसा हुआ है जब यहां से कोई मंत्री नहीं है।

 

 

इनमें से से किसी को नहीं मिली जगह

 

 

देवेंद्र जैन

 

तीसरी बार के विधायक हैं। वर्ष 1993 में शिवपुरी और फिर वर्ष 2008 में कोलारस से जीते। कोलारस में कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले राम सिंह यादव को हराया था। इस बार शिवपुरी में पिछले छह चुनाव से जीत रहे केपी सिंह को रिकार्ड मतों से हराया। वैश्य वर्ग से आते हैं और इसके चलते उनका मंत्री पद को लेकर दावा मजबूत था। पिछले कई दिनों से माननीय के भोपाल और दिल्ली कई चक्कर भी लग रहे थे।

 

 

महेंद्र सिंह यादव

 

दूसरी बार विधायक बने हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। इस बार कई सिंधिया समर्थक चुनाव हार गए थे और ऐसे में लग रहा था कि सिंधिया अपने खेमे से इन्हें मंत्री बनवाने के लिए प्रयास करेंगे। हालांकि डा. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद जातिगत समीकरणों में महेंद्र यादव फिट नहीं बैठ पाए।

 

प्रीतम लोधी

 

पहली बार विधायक बने हैं, लेकिन ऐसी सीट जीती है जिस पर भाजपा पिछले 30 साल से लगातार हार रही थी। केपी सिंह को पिछोर सीट छोड़ने पर मजबूर किया। चुनाव के पहले कई बार विवादों में रहे हैं। 60 से अधिक आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं और पहली बार के विधायक हैं इसलिए मंत्री पद की दावेदारी में ही नहीं रहे। हालांकि एक कार्यक्रम के दौरान मंत्री बनने की इच्छा जताई थी।

 

 

रमेश प्रसाद खटीक

 

करैरा से दूसरी बार विधायक बने हैं। पिछले चुनाव में पार्टी बदलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन बुरी तरह हार गए थे। फिर भाजपा में वापसी की और पार्टी ने राज्यमंत्री का दर्जा भी दिया। इस बार नजदीकी अंतर से जीते। संगठन में अच्छी पकड़ है, लेकिन मंत्री पद की दावेदारी में कहीं खड़े दिखाई नहीं दिए।

 

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