Hukamchand Mill Indore: सीएम मोहन यादव ने दोपहर में हस्ताक्षर किए, शाम को हुकमचंद मिल के देनदारों के खाते में पहुंच गया पैसा
Hukamchand Mill Indore: हुकमचंद मिल के मजदूरों को भुगतान का रास्ता साफ। बुधवार को हुकमचंद मिल मामले में हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई में इसकी जानकारी देगा शासन।
HIGHLIGHTS
- हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुआ था। इसके बाद से 5895 मजदूर बकाया भुगतान के लिए भटक रहे थे।
- हाउसिंग बोर्ड मिल के देनदारों के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये पहले ही भोपाल स्थित बैंक में जमा करवा चुका है।
- मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद अब संभवतः 26 दिसंबर से मजदूरों के खातों में भुगतान भेजना शुरू हो जाएगा।
Hukamchand Mill Indore: हुकमचंद मिल के 5895 मजदूर और स्वजन का 32 वर्ष का इंतजार मंगलवार को खत्म हो गया। मंगलवार दोपहर मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने मजदूरों और मिल के अन्य देनदारों के भुगतान के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए और देर शाम ही सभी देनदारों के खाते में पैसा पहुंचा दिया गया।
मजदूरों के भुगतान के लिए परिसमापक के खाते में 217 करोड़ 89 लाख रुपये का भुगतान पहुंच चुका है। अब यह पैसा वहां से खातों की जांच के बाद मजदूरों के खाते में पहुंचेगा। बुधवार को हुकमचंद मिल मामले में हाई कोर्ट में होने वाली सुनवाई में इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी शासन कोर्ट को देगा। हाउसिंग बोर्ड ने करीब डेढ़ सप्ताह पहले ही मिल के देनदारों के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये स्टेट बैंक आफ इंडिया (एसबीआइ) की भोपाल शाखा में जमा करा दिए थे।
मजदूरों के खाते में पहुंचने का सिलसिला संभवत: 26 दिसंबर को मुख्यमंत्री की उपस्थिति में होगा। 32 वर्ष पहले 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद हुई थी। हाई कोर्ट ने 6 अगस्त 2007 को मजदूरों के पक्ष में मुआवजा तय किया था, लेकिन इस राशि का पूरा भुगतान मजदूरों को नहीं हो सका। वर्ष 2017 में कोर्ट के आदेश पर शासन ने मजदूरों के लिए 50 करोड़ रुपये जारी किए थे।
मजदूरों का भुगतान मिल की जमीन को बेचकर होना था, लेकिन जमीन बिक नहीं सकी। हाल ही में मप्र गृह निर्माण मंडल ने नगर निगम के साथ मिलकर मिल की जमीन पर व्यावसायिक और आवासीय प्रोजेक्ट लाने को लेकर सहमति जताते हुए समझौता किया है। कोर्ट के आदेश के बाद गृह निर्माण मंडल ने मिल के देनदारों को देने के लिए 425 करोड़ 89 लाख रुपये की राशि बैंक में जमा भी करा भी दी।
जमीन के लिए बनी योजना
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मिल की जमीन पर आइटी पार्क लाकर, जमीन बेचकर मजदूरों के भुगतान की योजना बनाई थी। बाद में शासन स्तर पर तय हुआ कि जमीन हाउसिंग बोर्ड की दी जाए और वह वहां प्रोजेक्ट लाएगा। हाई कोर्ट ने मंडल को बकाया राशि भुगतान के आदेश भी दे दिए। आचार संहिता के कारण यह मामला अटक गया था। बाद में हाई कोर्ट की फटकार और चुनाव आयोग की मंजूरी के बाद मप्र गृह निर्माण मंडल ने यह राशि बैंक में जमा करा दी थी। आचार संहिता समाप्त होते प्रस्ताव पर मुहर लग गई। इसके बाद मंगलवार को सीएम डा. यादव ने फाइल पर स्वीकृति की मुहर लगाई।
हम लगातार इस मामले के समाधान के प्रयास में लगे थे। हमारा उद्देश्य था कि श्रमिकों को उनका हक मिले। संतोष है कि श्रमिकों को उनका अधिकार आखिरकार मिलना सुलभ हुआ। – पुष्यमित्र भार्गव, महापौर
32 वर्षों से भुगतान के लिए भटक रहे थे मजदूर
करीब 32 वर्ष पहले 12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद हुआ था। इसके बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन अपने बकाया भुगतान के लिए भटक रहे थे। हाई कोर्ट ने 6 अगस्त 2007 को हाई कोर्ट ने मिल के मजदूरों के पक्ष में 228 करोड़ 79 लाख 79 हजार 208 रुपये मुआवाज तय किया था, लेकिन इस रकम का पूरा भुगतान मजदूरों को नहीं हो सका। वर्ष 2017 में जरूर कोर्ट के आदेश पर शासन ने मजदूरों के लिए 50 करोड़ रुपये जारी किए थे। मजदूरों का भुगतान मिल की जमीन को बेचकर होना था, लेकिन जमीन बिक नहीं सकी।