Uttarakhand Tunnel Collapse: चूहे की तरह सुरंग खोदते हैं रैट होल माइनर्स, समझें क्या होती है रैट होल माइनिंग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उत्तराखंड टनल हादसे में मजदूरों की जान 17 दिनों से अटकी हुई थी। अब तक 15 मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाल लिया है। मजदूरों को सुरक्षित निकालने में मशीने फेल हो गईं तो सरकार ने रैट होल माइनर्स का सहारा लिया। रैट होल माइनिंग यह शब्द आप में से कई लोगों ने पहली बार सुना होगा। रैट का मतलब चूहा, होल का मलतब छेद और माइनिंग मतलब खुदाई। इसका मतलब होता है कि छेद में घुसकर चूहे की तरह खुदाई करना। यह रैट होल माइनर्स दूसरों के मुकाबले इस खतरनाक स्थिति में ज्यादा मजबूती से काम करते हैं।
क्या होती है रैट होल माइनिंग
उत्तर-पूर्वी भारत के जनजातीय लोग माइनिंग में काम करते समय रैट होल माइनिंग की प्रक्रिया का इस्तेमाल करते थे। मेघालय और उत्तर-पूर्वी इलाके में छोटी-छोटी खदानों में ‘रैट होल माइनिंग’ माइनिंग के लिए सबसे बेहतर विकल्प के रूप में देखा जाता था। इस तकनीक के जरिए कई बार रैट होल माइनर्स सुरंग या टनल में फंसे लोगों को निकालने के लिए भी उपयोग करते थे।
कैसे होती है रैट होल माइनिंग
रैट होल माइनिंग के लिए रैट होल माइनर्स किसी भी तरह की तकनीकी मशीन का उपयोग नहीं करते हैं। वह हाथ के औजारों का इस्तेमाल कर माइनिंग करते हैं। रैट होल माइनर्स अपने काम को धीरे-धीरे सुरंग को खोद देते हैं। इस दौरान मलबे को बाहर निकालते जाते हैं। यह अपने नाम के ही अनुरूम काम करता है। चूहे की तरह बिल को खोदना।