चंद्रयान-3 के चांद पर लैंड करते ही हुआ था बड़ा धमाका, इसरो ने बताया कैसा था लैंडिंग साइट का हाल
HIGHLIGHTS
- चंद्रयान-3 पर इसरो ने दिया नया अपडेट।
- इसरो ने बताया लैंडर ने इजेक्टा हेलो उत्पन्न किया।
- इसरो के विंग नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर ने इसे कैप्चर किया।
एजेंसी, नई दिल्ली। Chandrayaan-3: भारत के चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करते इतिहास रच दिया। उस दिन लैंडर के उतरते ही दक्षिण ध्रुव पर एक घटना हुई थी। विक्रम लैंडर के लैंड करते ही चांद की सतह पर लूनर मिट्टी उड़ी थी। जिससे चंद्रमा पर एक इजेक्ट हेलो उत्पन्न हुआ था।
इजेक्ट हेलो क्या होता है?
इसरो ने चंद्रयान-3 के लैंडर द्वारा बनाए गए इजेक्ट हेलो के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। दरअसल, चंद्रयान-3 के लैंडर ने जब चंद्रमा की धरती पर लैंडिंग प्रक्रिया शुरू की थी। इसकी सतह के नजदीक आते ही मिट्टी उड़ने लगी थी। चांद की सतह से उड़ने वाली मिट्टी और उसमें मौजूद चीजों को साइंटिफिक भाषा में एपिरेगोलिथ कहा जाता है।
एपिरेगोलिथ क्या है?
चंद्रमा की धरती की मिट्टी टेलकम पाउडर से भी पतली है। चांद के सतह पर लैंडिंग के समय चंद्रयान-3 के लैंडर में लगे रॉकेट बूस्टर के फायर करते ही उड़ने लगी। इस मिट्टी को लूनर मैटेरियल या एपिरेगोलिथ कहते हैं।
रॉकेट बूस्टर की फायरिंग क्यों करनी पड़ी
गुरुत्वाकर्षण की वजह से चंद्रयान-3 का लैंडर तेज गति से चंद्रमा की ओर बढ़ रहा था। क्रैश लैंडिंग से बचाने के लिए इसकी स्पीड धीमी करने की जरूरत थी। इसमें लगे रॉकेट बूस्टर को फायर किया गया। लैंडिंग के समय चंद्रमा की जमीन पर 108.4 वर्ग मीटर क्षेत्र के करीब 2.6 टन मिट्टी उड़कर उड़कर दूसरी जगह गिरी है। इसकी वजह से 108.4 वर्ग मीटर दायरे की जमीन उड़ गई। इसका आकार गोल है। इसलिए इसरो ने इजेक्ट हेलो नाम दिया है। इसकी तस्वीर चंद्रयान-2 के कैमरे से खींची गई है।