Old Age Day: जीवन की सेकेंड इनिंग में कोई शौक पूरे कर रहा तो किसी ने चुनी जनकल्याण की राह

Old Age Day: आज वृद्धजन दिवस पर जब इन सभी से बात कर इनके अनुभवों और जिंदगी के मायनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ एक ही बात कही ‘लाइफ की फर्स्ट इनिंग तो दौड़ धूप में निकाल दी

Old Age Day:  उम्र नहीं रोक सकती उम्मीदों की उड़ान, बस खोल कर पंख अपने समेट लो आसमान…. शहर के कुछ ऐसे ही उम्र दराज लोग जो एक लंबे समय तक विभिन्न पदों पर सेवाएं देने के बाद सेवा निवृत होकर अब अपने शौक को पूरा कर रहे हैं। शौक भी ऐसे वैसे नहीं, कोई भूखों को खाना खिला रहा है तो कोई भटके को राह दिखा रहा है, कोई परेशान की मदद कर उसे न्याय दिला रहा है तो कोई अपने भीतर की आवाज को शब्दों में पिरोकर समाज के सामने बतौर कविता-गजल पेश कर रहा है। आज वृद्धजन दिवस पर जब इन सभी से बात कर इनके अनुभवों और जिंदगी के मायनों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ एक ही बात कही ‘लाइफ की फर्स्ट इनिंग तो दौड़ धूप में निकाल दी, अब लाइफ की सेकेंड इनिंग में फ्रंटफुट पर खेलना है।’ आप भी जानिए शहर के ऐसे ही तीन लोगों के बारे में …।

इनकम टैक्स के अधिकारी अब जनता की सेवा में जुटे

इनकम टैक्स आफीसर की पोस्ट से 2009 में सेवा निवृत हुए यासीन खान मंसूरी पहले हाईकोर्ट में लगभग 6 साल तक अधिवक्ता रहे। इसके बाद जब लगा कि अब लाइफ की सेकेंड इनिंग की पारी शुरू करने का समय आ गया है तो सब कुछ भूल कर 2016 में सोशल सर्विस से जुड़े और जनता की सेवा का कार्य करने लगे। इसके साथ ही अपने शौक को पूरा कर रहे हैं, उन्हें कविताएं और गजल लिखने का भी शौक है तो अपने जीवन की दूसरी पारी का एक हिस्सा अब वह अपने शौक को भी दे रहे हैं। वह कहते हैं कि समय आपको बूढ़ा नहीं कर सकता, स्वयं को जवान महसूस करें, जहां संभव हो वहां जनकल्याण के लिए अपना योगदान दें।

सेकेंड पारी समाज को समर्पित की

एमआइटीस से स्टेट आफीसर के पद से 2021 में रिटायर होकर संजय भार्गव ने अपना जीवन समाज के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया है। वह समर्पण के नाम से संस्था चला रहे हैं, जिसके शहरभर में डायग्नोसिस सेंटर हैं। यहां जांच बाजार से 50 प्रतिशत कम दामों में की जाती है। भार्गव बताते है कि कुछ ही महीनों के भीतर वह आखों का अस्पताल भी शुरु कर रहे हैं। भार्गव पूरे वर्ष भर कैंसर अस्पताल के जनरल वार्ड में भर्ती मरीजों और अटेंडेंट के लिए खाना भिजवाते हैं। कोरोना काल में भी नि:शुल्क रुप से प्रतिदिन 1000 पैकेट भोजन उपलब्ध करवाते थे।

न्याय दिलाने की राह पर चलते हैं अशोक

 

देश सेवा में समर्पित रहे अशोक खंडेलवाल जो मध्यप्रदेश – छत्तीसगढ़ के आइएएएस के डायरेक्टर रहे, तीन साल भारत सरकार की ओर से लंदन में पदस्थ रहते हुए 40 से ज्यादा देशों की आडिट की और 2016 में रिटायर होकर अब शहर के उन लोगों को न्याय दिलवाने का काम कर रहे हैं। व्यक्ति किसी भी तबके का हो या किसी भी वर्ग का अशोक खंडेलवाल कभी मदद करने से हिचकिचाते नहीं हैं। वह विभाग से लेकर मंत्रालय और हाईकोर्ट तक हर तरफ से प्रयास कर संबंधित व्यक्ति को न्याय दिलाते हैं। शौक की बात करें तो तबला और सरोद में गोल्ड मेडल हासिल किए संगीक के भी काफी शौकीन हैं।

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