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Nilgai in Airforce campus: कूनो में छोड़ी जाएंगी एयरफोर्स की नीलगाय, सीडब्ल्यूडब्ल्यू देंगे पकड़ने की अनुमति

HighLights

  • एयरफोर्स परिसर में नीलगायों से परेशानी के मामले में अब पकड़ने पर ही जल्द निर्णय
  • कूनो में नीलगायों से चीतों को नुकसान नहीं
  • ग्वालियर एयरफोर्स के अलग अलग परिसरों में हैं करीब 200 नीलगाय

Nilgai in Airforce campus: ग्वालियर  देश के महत्वपूर्ण एयरबेस में शामिल ग्वालियर एयरफोर्स स्टेशन पर नीलगायों की परेशानी जल्द खत्म हो सकती है। नीलगायों को अब पकड़कर श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा, इसको लेकर सहमति बन गई है। यह काम वन विभाग की ओर से किया जाएगा, जिसके लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन (सीडब्ल्यूडब्ल्यू) से अनुमति ली जाएगी। नीलगाय को पकड़ना भी शिकार की ही श्रेणी में आता है इसलिए बिना अनुमति यह कार्य नहीं किया जा सकता। बोमा तकनीक से नीलगाय पकड़ी जाएंगी। जिसमें एक्सपर्ट और वन विभाग की ज्वाइंट टीम काम करेगी।

एयरफोर्स परिसर में हैं करीब 200 नीलगाय

एयरफोर्स स्टेशन में अलग-अलग परिसर में लगभग 200 नीलगाय हैं। हालांकि कूनो में पहले से ही करीब तीन हजार नीलगाय हैं, इनसे चीतों को कोई नुकसान नहीं है। बता दें कि महाराजपुरा स्थित एयरफोर्स स्टेशन परिसर में नीलगाय बड़ी समस्या बनी हुई हैं। रनवे पर आने से लेकर यह रहवासी क्षेत्र तक में घूमती हैं और इनके कारण बड़े नुकसान या हादसे की आशंका रहती है। इसको लेकर वन विभाग, एयरफोर्स और प्रशासन के अधिकारियों की पूर्व में बैठक हो चुकी है, जिसपर नीलगाय की समस्या को दूर करने पर मंथन हुआ था। इसी दौरान प्रस्ताव तैयार करने पर सहमति बनी थी, जिसमें नीलगाय को मारने का सुझाव भी शामिल किया गया था। इस बैठक के बाद अब वन विभाग की ओर से यह प्रस्ताव राज्य सरकार की ओर प्रेषित है, लेकिन अनुमति नहीं मिली। अभी हाल ही में एयरफोर्स के अधिकारियों के साथ वन विभाग व प्रशासन के अधिकारियों की बैठक हुई, जिसमें नीलगायों की समस्या पर विस्तार से चर्चा की गई।

पहले बाउंड्रीवाल का भी दिया था सुझाव

द्यवन विभाग ने पहले नीलगाय को लेकर बाउंड्रीवाल बनाकर सुरक्षित करने का भी सुझाव दिया था। बैठक में बताया गया था कि छोटी मोटी बाउंड्रीवाल या सरहद को यह पार कर जाती हैं इसलिए इससे भी रोक नहीं लग सकेगी। नीलगाय घोड़े जितना बड़ा होता है, पर उसके शरीर की बनावट संतुलित नहीं होती। पृष्ठ भाग अग्रभाग से कम ऊंचा होने से दौड़ते समय यह अत्यंत अटपटा लगता है। इसका वजन 120 किलो से 240 किलो तक होता है और हाइवे पर सड़क हादसों का भी बड़ा कारण है।

ऐसे काम करती है बोमा तकनीक

द्यसाउथ अफ्रीका की बोमा तकनीक ऐसी होती है जिसमें नीलगाय को पकड़ने के लिए पूरा वातावरण तैयार किया जाता है। कम रिहायशी क्षेत्र व बिना हलचल वाले क्षेत्र से रास्ता जैसा बनाया जाता है और इसे हरा भरा दिखाया जाता है, नीलगाय का खानपान भी रख दिया जाता है और आगे जाकर यह रास्ता एक संकरी जगह जाकर बाड़ा जैसे में जाता है जिसके बाद इन्हें शिफ्ट कर लिया जाता है। नीलगाय को आमतौर पर पकड़ने जाने पर वह कहीं भी भाग सकती है, इसमें उन्हें इस निर्धारित मार्ग पर आगे बढ़ाकर बाड़ानुमा में बंद कर दिया जाता है।

एयरफोर्स परिसर में नीलगायों को पकड़ने के लिए तैयारी की जा रही है, इसके लिए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन से अनुमति लेंगे। इंदौर के एक्सपर्ट इसके लिए बुलवाए जाएंगे और इसमें ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा। अंकित पांडेय, डीएफओ,ग्वालियर कूनो में पहले से दो से तीन हजार नीलगाय हैं,यहां और नीलगाय छोड़ी जातीं हैं तो कोई समस्या नहीं है। चीतों को नीलगाय से कोई नुकसान की आशंका नहीं है।

पीके वर्मा, डीएफओ,कूनो

 

 

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