Awadh Ojha Join AAP: अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल, केजरीवाल ने दिलाई सदस्यता
यूपीएससी के अभ्यर्थियों को कोचिंग देने वाले मशहूर टीचर अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। आप के संयोजक व पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल व पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली।
HIGHLIGHTS
- केजरीवाल ने ओझा को शिक्षा के क्षेत्र में मददगार बताया है।
- ओझा ने BJP से लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी।
- ओझा सर’ के नाम से सोशल मीडिया पर बड़ी फैन फॉलोइंग।
एएनआई, नई दिल्ली। यूपीएससी के अभ्यर्थियों को कोचिंग देने वाले मशहूर टीचर अवध ओझा आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं। आप के संयोजक व पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल व पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में उन्होंने पार्टी की सदस्यता ली। यह संभावना जताई जा रही है कि वह दिल्ली की किसी सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
अवध ओझा यूपी के गोंडा शहर के रहने वाले हैं। अपनी अनोखी पढ़ाने की शैली के कारण सोशल मीडिया पर उनके वीडियो बहुत वायरल होते हैं। उन्हें छात्र ‘ओझा सर’ के नाम से बुलाते हैं। उनकी सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रियता है।
ओझा के आने से शिक्षा के क्षेत्र में होगा फायदा: केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम पार्टी में किसी को भी शामिल करते हैं, तो अक्सर बोलते हैं कि इससे पार्टी को फायदा होगा। इस बार ऐसा नहीं है। अवध ओझा के पार्टी में शामिल होने से पार्टी के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी फायदा मिलेगा।
अवध ओझा से पूछा गया कि क्या वह दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। इस पर उन्होंने कहा कि वह आम आदमी पार्टी में शामिल हुए हैं। ऐसे में पार्टी के हर निर्देश को मानेंगे।
लड़ सकते हैं दिल्ली विधानसभा चुनाव
सूत्रों के मुताबिक उनकी सीट पहले ही तय की जा चुकी है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सी सीट चुनाव लड़ेंगे। एक न्यूज चैनल से इंटरव्यू में उन्होंने आप नेता अरविंद केजरीवाल की तारीफ की थी। उन्होंने कहा था कि वह एक राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं। उनमें काबिलियत है कि वह देश का नेतृत्व कर सकें।
लोकसभा चुनाव में भाजपा के संपर्क में थे ओझा
अवध ओझा की राजनीति में दिलचस्पी किसी से छिपी नहीं है। वह खुलकर इस बात को स्वीकार चुके हैं कि वह राजनीति में आना चाहते हैं। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह लोकसभा चुनाव में यूपी की कैसरगंज सीट के लिए भाजपा से टिकट मांग रहे थे, लेकिन बात नहीं बन पाई। फिर वह प्रयागराज से भी चुनाव लड़ने को तैयार थे, लेकिन भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने जवाब नहीं दिया।