कागजों में बंटता रहा पोषाहार, कर्मचारियों ने किया 50 लाख का घोटाला
सीकर/श्रीमाधोपुर. आंगनबाड़ी केंद्रों पर छोटे बच्चों को दिए जाने वाले पोषाहार की सप्लाई में बड़ा घपला सामने आया है। श्रीमाधोपुर, नीमकाथाना व खंडेला इलाके में पोषाहार सप्लाई करने वाले कर्मचारियों ने चार महीने में करीब 50 लाख का पोषाहार का गबन कर दिया। मामले का खुलासा होने पर ठेकेदार ने सप्लाई करने वाली फर्म के छह कर्मचारियों के खिलाफ गबन सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज करवाया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। थानाधिकारी करण सिंह खंगारोत ने बताया कि झुंझुनू की भास्कर इंडस्ट्रीज के सुरेंद्र कुमार ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि भास्कर इंडस्ट्रीज राजस्थान स्टेट फूड एंड सिविल सप्लाइज कॉरपोरेशन की सहमति से एलसीडीएस का काम करती है जो कि आंगनबाड़ी केंद्रों के पोषाहार के वितरण के लिए अधिकृत है। फर्म ने जिले के खंडेला, श्रीमाधोपुर, नीमकाथाना और ग्रामीण क्षेत्र नीमकाथाना सदर में सप्लाई कार्य के लिए महावीर शर्मा, ललित जोशी, सुरेश जाट, राजू को काम पर रखा हुआ था। कर्मचारी गोदाम से पोषाहार तो पूरा उठाते, लेकिन बीच में ही उसमें गबन कर लेते। साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चालान भी गलत दिखाते। वे फर्म के ही सीकर गोदाम से गेहूं, चावल, दाल की सप्लाई आंगनबाड़ी केंद्रों पर करते थे। चारों कर्मचारी गोदाम से पोषाहार तो आवंटन के अनुसार लेते, लेकिन बीच में ही पोषाहार गायब कर लेते और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को चालान में कांट-छांट कर फर्जी तरीके से देते जिससे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को यह लगता कि पोषाहार आवंटन के अनुसार मिला है। सुरेंद्र ने रिपोर्ट में लिखा है कि चारों कर्मचारियों ने अप्रैल से सितंबर तक पोषाहार में गबन किया। जो जेएलएस के द्वारा दी गई रिपोर्ट में पता चला। कर्मचारियों ने चालान बुक भी फर्म में जमा नहीं करवाई। सुरेंद्र की रिपोर्ट पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। इधर, कंपनी का दावा है कि कर्मचारियों की ओर से जो माल कम सप्लाई सेंटरों पर दिया वह अब भिजवा दिया है।
बड़ा सवाल: अधिकारियों के निरीक्षण पर भी उठे सवाल
आंगनबाड़ी केन्द्रों की व्यवस्थओं की हकीकत देखने के लिए महिला पर्यवेक्षक से लेकर सीडीपीओ हर महीने निरीक्षण करते है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि निरीक्षण में यह घपला पकड़ में क्यों नहीं आ सका। इस खेल में मिलीभगत के आरोप भी कई संगठनों ने लगाए है। इससे पहले कई परियोजना में इस तरह की शिकायत कार्यकर्ताओं की ओर से दी गई। लेकिन अधिकारियों की ओर से मानदेय सेवा से पृथक करने की धौस दिखाकर कार्यकर्ताओं की शिकायतों को फाइलों में दफन कर दिया गया।
हर ब्लॉक में खेल, मिलीभगत के आरोप
पिछले साल भी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर पोषाहार वितरण की व्यवस्था पर सवाल उठे। खुद जिला कलक्टर भी कई बार जिलास्तरीय साप्ताहिक समीक्षा बैठकों में निरीक्षण व्यवस्था पर सवाल उठा चुके है। कई ब्लॉकों में बिना माल दिए ही पावती रसीद देने का भी प्रेशर बनाने के आरोप लगे थे।
ऐसे पकड़ में आया फर्जीवाड़ा: हर सेंटर पर कम दिया माल
दरअसल, ठेकेदार की ओर से बच्चों के नामांकन के आधार पर हर महीने पोषाहार सामग्री सप्लाई की जाती है। ठेकेदार के कर्मचारियों ने तय सामग्री से कम माल सेंटरों पर सप्लाई शुरू कर दिया। कई बार तोल में गड़बड़ी की तो कई बार पर्ची ज्यादा बजन की और माल कम दिया। इस तरह का खेल तीन ब्लॉकों में तीन महीने तक चलता रहा। आखिर में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की शिकायत बढ़ी तो कंपनी ने जांच कराई। इसके बाद इस फर्जीवाड़े की पोल खुली है।