Aditya L1 Mission Exclusive: 15 लाख किमी की दूरी से 20 सेकंड में धरती पर भेजेगा संदेश, इसरो डायरेक्टर ने बताई ये खास बातें
HIGHLIGHTS
- Aditya L1 देश का पहला ओबसेरवटोरी-क्लास का स्पेस बेज सौर मिशन है।
- इसरो पहले भास्कर नाम का एक सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है।
- Aditya L1 में 590 किलोग्राम प्रोपल्शन फ्यूल और 890 किलोग्राम के अन्य सिस्टम लगे हैं।
किशन प्रजापति, अहमदाबाद Aditya L1 Mission। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत जल्दी ही अपना पहला सूर्य मिशन Aditya L1 लॉन्च करने वाला है। Aditya L1 की लॉन्चिंग 2 सितंबर की सुबह 11:50 बजे श्रीहरिकोटा से होगी। गुजराती जागरण की टीम ने अहमदाबाद स्थित इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई से सूर्य मिशन के बारे में विस्तार से बात की।
एसएसी-इसरो अहमदाबाद के डायरेक्टर नीलेश एम. देसाई ने बताया कि Aditya L1 देश का पहला ओबसेरवटोरी-क्लास का स्पेस बेज सौर मिशन है। इसरो पहले भास्कर नाम का एक सैटेलाइट लॉन्च कर चुका है, इस कारण से सूर्य मिशन के लिए इस उपग्रह का नाम आदित्य रखा गया है। गौरतलब है कि सूर्य के 12 नामों में से एक नाम आदित्य भी है। उन्होंने बताया कि 2 सितंबर को आदित्य एल1 को जब लॉन्च किया जाएगा तो एल-1 बिंदु तक पहुंचने में उसे करीब 4 माह का समय लगेगा।
Aditya L1 का कुल वजन 1480 किग्रा
Aditya L1 में 590 किलोग्राम प्रोपल्शन फ्यूल और 890 किलोग्राम के अन्य सिस्टम लगे हैं। ऐसे कुल मिलाकर इस अंतरिक्ष यान की कुल वजन करीब 1480 किलोग्राम है। इस सूर्य मिशन में डेटा और टेलीमेट्री जैसे कमांड के लिए यूरोपीय, अमेरिकी, स्पेनिश और ऑस्ट्रेलियाई स्पेस एजेंसियों की भी मदद ली गई है।
अहमदाबाद में मुख्य पेलोड VELC
नीलेश एम. देसाई ने बताया कि Aditya L1 को बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने डिजाइन किया है। SAC-ISRO अहमदाबाद में सेटेलाइट आदित्य एल1 के मुख्य पेलोड VELC (विजिबल एमिशन लाइन क्रोनोग्रफ़) का 70 फीसदी काम किया गया है और बाकी 30 प्रतिशत काम बेंगलुरु में हुआ है। Aditya L1 के स्ट्रक्चर से जुड़ा काम इसरो द्वारा किया गया है और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स को आउटसोर्स किया गया है। Aditya L1 कुल मिलाकर 70 डेडिकेटेड वैज्ञानिकों के साथ-साथ 1000 लोगों ने परिश्रम किया है।
सूर्य चक्र पर शोध करेगा Aditya L1
नीलेश एम. देसाई के मुताबिक, “सैटेलाइट आदित्य एल1 हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद करीब 5 साल तक काम करता रहेगा। इसके जरिए सन साइकल की स्टडी की जाएगी। नीलेश एम. देसाई के मुताबिक सन साइकल 11 साल की होती है। आने वाले समय में सन साइकल 2025 से 2028 के बीच होगी और इस दौरान सूर्य अत्यधिक सक्रिय होगा। इस दौरान भारत का Aditya L1वहां सक्रिय रहेगा और सूर्य के बारे में सटीक अध्ययन करेगा। उन्हों बताया कि सूर्य के अंदर की दृश्यमान सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस है, वहीं सूर्य के ‘कोर’ हिस्से का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, इसकी भी स्टडी की जाएगी।
20 सेकंड में धरती पर आएगा डेटा व फोटो
नीलेश एम. देसाई ने बताया कि Aditya L1 हेलो ऑर्बिट में जाकर कोरोनल हीटिंग, सौर पवन त्वरण, कोरोनल मास इजेक्शन (CME), फ्लेयर्स और निकट-पृथ्वी अंतरिक्ष मौसम की शुरुआत, सौर वातावरण के युग्मन और गतिशीलता और वितरण और तापमान सौर वायु अनिसोट्रॉपी को समझने के लिए डेटा इकट्ठा करेगा। वहीं Aditya L1 में SUIT (सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप) है और सेटेलाइट को खोखली कक्षा में स्थापित करने के बाद VELC का शटर खोला जाएगा और इसकी तस्वीर इवेंट कैमरे द्वारा क्लिक की जाएगी। इस तरह 20 सेकंड में डेटा और फोटो धरती पर प्राप्त हो जाएंगे।”