LIVE Chandrayaan-3 on Moon: ‘दक्षिणी ध्रुव पर बस सकता है इंसान, सही जगह की कर रहें तलाश’, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का बयान"/> LIVE Chandrayaan-3 on Moon: ‘दक्षिणी ध्रुव पर बस सकता है इंसान, सही जगह की कर रहें तलाश’, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का बयान"/>

LIVE Chandrayaan-3 on Moon: ‘दक्षिणी ध्रुव पर बस सकता है इंसान, सही जगह की कर रहें तलाश’, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का बयान

HighLights

  • चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत पहला देश बना
  • दुनिया ने माना भारत का लोहा, सभी देखों में हुई तारीफ
  • अब प्रज्ञान रोवर 14 दिन तक करेगा अध्ययन

श्रीहरिकोटा: चंद्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3 on Moon) ने काम करना शुरू कर दिया है। ISRO ने अपने ताजा ट्वीट में बताया कि प्रज्ञान रोवर सफलतापूर्वक बाहर निकल गया है। इसके साथ ही चंद्रमा पर मेड इन इंडिया रोवर की चहलकदमी शुरू हो गई है।

विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर, दोनों चंद्रमा की सतह का अध्ययन करेंगे और डेटा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) भेजेंगे। तस्वीरें आना शुरू हो गई हैं।

चंद्रयान-3 के दक्षिण पोल ही क्यों चुना, पढ़िए इसरो प्रमुख का बयान

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया, “इसरो ने चंद्रयान-3 की लैंडिंग के लिए चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को चुना, क्योंकि वहां अधिक वैज्ञानिक सामग्री हो सकती है। वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव में रुचि दिखाई हैं, क्योंकि इंसान चंद्रमा पर जाकर बस्तियां बसाना चाहती है और दक्षिणी ध्रुव इसके लिए सबसे अच्छा जगह हो सकती है।”

इससे पहले बुधवार शाम को भारत ने इतिहास रचते हुए चंद्रयान-3 को सफलतापूर्वक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतार दिया। पूरी दुनिया ने अंतरिक्ष में भारतीय वैज्ञानिकों की महारथ देखी। दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश है।

सबसे पहले क्या करेगा रोवर

चंद्रमा की सतह पर प्रज्ञान रोवर डेटा एकत्र करने के अलावा और भी बहुत कुछ करेगा। रोवर के छह पहिये हैं, जो चांद की धरती का अध्ययन करेंगे। इन्हीं पहियों में सबसे पीछे वाले पहियों पर भारत का राष्ट्रीय चिह्न यानी अशोक स्तंभ और ISRO का LOGO गुदा हुआ है। प्रज्ञान रोवर चांद की धरती पर जहां भी घूमेगा, वहीं पर पीछे-पीछे ये निशान भी बनते चले जाएंगे। चांद पर हवाएं नहीं चलती हैं। इसके चलते ये निशान मिटने की आशंका नहीं है।

फोटो: चंद्रयान-3 ने भेजी पहली तस्वीर

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चंद्रयान-3 की सफलता के बाद राजनीति भी शुरू हो गई है। भाजपा ने जहां इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष में भारत की ऊंची उड़ान करार दिया, वहीं कांग्रेस ने इसे नेहरू की दूरदर्शी सोच का परिणाम करार दिया।

 

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