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Chandrayaan-3: सटीक काम कर रहा लैंडर मॉड्यूल विक्रम, इसरो ने दिया ये ताजा अपडेट

HighLights

  • चंद्रयान-3 के साथ भेजा गया विक्रम लैंडर सही दिशा में चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है
  • लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर शामिल हैं।
  • Chandrayaan-3 के लिए अगले कुछ घंटे बेहद खास है।
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 के साथ भेजा गया विक्रम लैंडर सही दिशा में चंद्रमा की ओर बढ़ रहा है और सटीक तरह से काम कर रहा है। इसरो ने जानकारी दी है कि सफल डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) के बाद शुक्रवार को लैंडर मॉड्यूल चंद्रमा के और करीब पहुंच गया है। आपको बता दें कि लैंडर मॉड्यूल में लैंडर विक्रम और रोवर शामिल हैं।

अगले कुछ घंटे बेहद अहम

Chandrayaan-3 के लिए अगले कुछ घंटे बेहद खास है, क्योंकि 20 अगस्त को लैंडर की एक बार फिर से डी-बूस्टिंग की जाएगी और इसे और निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। इसरो के एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया था कि लैंडर मॉड्यूल की कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई है। अब डी-बूस्टिंग की अगली प्रोसेस 20 अगस्त को भारतीय समय अनुसार तड़के लगभग 2 बजे पूरी की जाएगी।

जानें कब होगी चंद्रयान-3 की लैंडिंग

आपको बता दें कि गुरुवार को Chandrayaan-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल और लैंडर मॉड्यूल को अलग कर दिया गया था और 23 अगस्त शाम 5.47 मिनट पर लैंडर विक्रम की चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी की जा रही है। विक्रम रोवर चांद के दक्षिणी ध्रुव का स्पर्श करेगा। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। अभी तक अमेरिका, रूस और चीन ने ही चंद्रमा की सतह पर अपने लैंडर उतारे हैं। Chandrayaan-3 श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 14 जुलाई को रवाना हुआ था।

रूस का लूना-25 भी उतरने की तैयारी में

इधर रूस का लूना-25 भी अगले सप्ताह चांद पर उतरने की तैयारी में है। लूना-25 के चांद की सतह पर 21 या 23 अगस्त को उतर सकता है। खगोल वैज्ञानिकों के मुताबिक, चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र पर्यावरण के लिहाज से बहुत अलग भूभाग हैं और इसलिए ये अज्ञात बने हुए हैं। भारत ने चंद्रयान-3 से पहले भेजा गया चंद्रयान-2 भी भेजा था, जो 7 सितंबर 2019 को सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल हो गया था। इससे पहले चंद्रयान-1 मिशन 2008 में भेजा गया था।

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