ये हैं भगवान शिव के वे दो अवतार, जो आज भी हैं जीवित, जानें कहां हैं?

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ये हैं भगवान शिव के वे दो अवतार, जो आज भी हैं जीवित, जानें कहां हैं?

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ये हैं भगवान शिव के वे दो अवतार, जो आज भी हैं जीवित, जानें कहां हैं?

HighLights

  • भगवान शिव ने 19 अवतार लिए हैं।
  • शिव जी के दो अवतार आज भी जीवित हैं।
  • शिव के अवतारों में से एक हनुमान जी आज भी जीवित है।

 

Bhagwan Shiv Avatar: इस समय सावन का पवित्र महीना चल रहा है। भगवान शिव को कालों के काल महाकाल कहा जाता है। धर्म की रक्षा करने के लिए भगवान शिव ने अवतार लिए हैं। भगवान शिव की गिनती त्रिदेवों में होती है। शिव जी को तंत्र-मंत्र का अधिष्ठात्री देवता कहा जाता है। भगवान शिव ने दुष्ट असुरों का संहार करने के लिए समय-समय पर कई अवतार लिए हैं। कुछ अवतार भोलेनाथ ने देवताओं का अभिमान तोड़ने के लिए भी लिए हैं। धर्म-शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव ने 19 अवतार लिए हैं। इनमें से कुछ अवतार काफी खास हैं। शिव जी के दो अवतार ऐसे हैं, जो आज भी जीवित हैं।

शिवजी के 19 अवतार

वीरभद्र अवतार

पिप्पलाद अवतार

नंदी अवतार

भैरव अवतार

अश्वत्थामा अवतार

शरभावतार

ग्रह पति अवतार

ऋषि दुर्वासा अवतार

हनुमान

वृषभ अवतार

यतिनाथ अवतार

कृष्णदर्शन अवतार

अवधूत अवतार

भिक्षुवर्य अवतार

सुरेश्वर अवतार

किरात अवतार

ब्रह्मचारी अवतार

सुनटनर्तक अवतार

यक्ष अवतार

आज भी जीवित हैं, ये दो अवतार

हनुमान जी

 

माना जाता है कि भगवान शिव के अवतारों में से एक हनुमान जी आज भी जीवित है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब देवताओं और दानवों के बीच विष्णु जी के मोहनी रूप से द्वारा अमृत बांटा जा रहा था, तो भगवान भोलेनाथ मोहिनी रूप को देखकर मोहित हो गए थे। सप्त ऋषियों ने भोलेनाथ जी के वीर्य को कुछ पत्तों पर इकट्ठा कर लिया। बाद में समय आने पर इसी वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से उनके गर्भ में स्थापित किया गया।

इस तरह भगवान राम के भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ। कहा जाता है कि भगवान हनुमान को 1000 से भी अधिक हाथियों का बल प्राप्त था। साथ ही उन्हें भूत-प्रेत का काल और संकट मोचन कहा जाता है। हनुमान जी की भक्ति देखकर माता सीता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था और आज भी हनुमान जी जीवित हैं।

अश्वत्थामा

 

भगवान शिव के पांचवें अवतार को अश्वत्थामा का नाम दिया गया था। यह अवतार गुरु द्रोणाचार्य के घर उनके पुत्र के रूप में हुआ था। द्रोणाचार्य ने भगवान भोलेनाथ को पुत्र के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी और भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर उनके पुत्र के तौर जन्म लेने का वरदान दिया था। साथ ही अश्वत्थामा को भी अमरता का वरदान मिला था। माना जाता है कि आज भी अश्वत्थामा धरती पर विचरण कर रहे हैं।

 

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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