Independence Day 2023: भारत के आखिरी वायसराय नहीं बनना चाहते थे माउंटबेटन, इन परिस्थितियों में हुई थी पोस्टिंग
Independence Day 2023: भारत इस साल अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। भारत की आजादी से जुड़े कई ऐसे किस्से हैं, जिनसे आज भी अधिकांश लोग अनजान हैं। हम सभी ये जानते हैं कि भारत का आखिरी वायसराय Mountbatten को नियुक्त किया गया था और उन्होंने ही भारत आकर सत्ता का हस्तांतरण किया था। इतिहास के पन्नों को खंगाला जाए तो पता चलता है कि जॉर्ज माउंटबेटन ब्रिटेन में अपनी नियुक्ति को लेकर काफी दुखी थी। वे भारत के आखिरी वायसराय बनकर नहीं आना चाहते हैं। इस बारे में विस्तार से उल्लेख किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में मिलता है।
1 जनवरी 1947 को एटली से मिले थे माउंटबेटन
1 जनवरी 1947 में ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने माउंटबेटन को मिलने के लिए बुलाया था। जब माउंटबेटन अपने काले रंग की आस्टीन कार से प्रधानमंत्री एटली से मिलने जा रहे थे, लेकिन उनके मन में कई तरह की आशंकाएं थी और उन्हें लेकर वे काफी असमंजस में भी थी। दरअसल उनकी ये आशंकाएं सही भी साबित हुई, जब कुछ देर बाद जब वे प्रधानमंत्री एटली से मिले तो उन्हें भारत का आखिरी वायसराय बनाने का प्रस्ताव मिला था और ब्रिटेन सरकार ने उन्हें भारत में सत्ता हस्तांतरण की जिम्मेदारी सौंपी थी।
एटली के प्रस्ताव से इसलिए नाखुश थे माउंटबेटन
कार में आते समय Mountbatten जिस बात को लेकर चिंतित थे, वह यह थी कि कहीं उन्हें भारत का आखिरी वायसराय बनाकर न भेज दिया जाए। माउंटबेटन ब्रिटेन के राजपरिवार से ताल्लुक रखते थे। उनका मानना था कि जिस ब्रिटेन के साम्राज्य में कभी सूर्यास्त नहीं होता है, उसकी सत्ता को समेटने का काम करने उनके लिए कलंक के समान होगा।
माउंटबेटन ने रखी कड़ी शर्तें
Mountbatten प्रधानमंत्री एटली के प्रस्ताव को सीधे तौर पर मना करने की स्थिति में नहीं थे। ऐसे में तब 46 साल के माउंटबेटन ने भारत में नियुक्त पर जाने से पहले कई तरह की छोटी-बड़ी शर्तें रखना शुरू कर दी। उन्हें उम्मीद थी कि इन कठिन शर्तों को प्रधानमंत्री एटली कभी नहीं मानेंगे। जिसमें कुछ बचकानी सी मांगें भी शामिल थी, लेकिन प्रधानमंत्री एटली ने Mountbatten की सभी शर्तों को मान लिया।
इस जहाज से भारत जाना चाहते थे माउंटबेटन
एटली के सामने माउंटबेटन ने शर्ते रखी थी कि वह अपने पसंदीदा यार्क एम डब्ल्यू 102 जहाज से ही भारत जाएंगे। इसके अलावा उन्होंने एक प्रमुख मांग यह की थी कि वे सीधे प्रधानमंत्री एटली को ही रिपोर्ट करेंगे और उनके काम में किसी भी प्रकार की दखलअंदाजी होगी।