Raipur: वेयर हाउस निर्माण में घोटाला

महालेखाकार ने पकड़ी गड़बड़ी

छत्तीसगढ़ राज्य भंडारण निगम पर गोदाम निर्माण में बड़ी गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है। बताया जा रहा है कि ठेकेदारों तथा अपात्र बोलीदाताओं को 12.75 करोड़ की राशि का अनुचित लाभ दिया गया है।

वेयर हाउस निर्माण में घोटाला

छत्तीसगढ़ राज्य भंडारण निगम (स्टेट वेयर हाउस) द्वारा गोदाम निर्माण में एक बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। खास बात ये है कि सीएजी कार्यालय के उप-महालेखाकार ने वेयर हाउस के प्रबंध निदेशक को भेजी गई एक रिपोर्ट में यह बड़ा खुलासा किया है। योग्यता मानदंडों को अनदेखा करते हुए, निगम की निविदा तकनीकी समिति ने तकनीकी रूप से ठेकेदार को अर्हता दी और उसे काम सौंप दिया। कार्य प्रदान करना निविदा की अनिवार्य शर्तों का उल्लंघन है और नियमानुसार नहीं है और अत्यधिक आपत्तिजनक है। इसके परिणामस्वरूप अपात्र बोलीदाताओं को 12.75 करोड़ की राशि का कार्य अनियमित रूप से दिया गया तथा ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया।

ये है पूरा मामला

भंडारण निगम ने जांजगीर-चांपा जिले के बाराद्वार (15000 एमटी)- सक्ती (7200 एमटी) में गोदाम परिसर के निर्माण एवं अन्य कार्य के लिए 12 फरवरी 2021 को निविदा आमंत्रित की थी। इसकी कुल अनुमानित लागत 13 करोड़ 45 लाख रुपए थी। इस ठेके के लिए शर्त ये थी कि बोलीदार का एवरेज टर्नओवर 4 करोड़ 6 लाख रुपए होना चाहिए। इस ठेके के लिए निविदा दाखिल करने वाले बिलासपुर के ठेकेदार अरोरा कंस्ट्रक्शन ने जब निविदा में हिस्सा लिया तो उसका कुल टर्नओवर 3 करोड़ 66 लाख था। दरअसल यह कार्य जितनी अनुमानित लागत का था, उसका न्यूनतम 30 प्रतिशत औसत वार्षिक टनओवर होना चाहिए था।

चार फर्म निविदा में हुईं शामिल

बोली के जवाब में चार फर्मों ने निविदा में भाग लिया। चार में से दो फर्मों ने वित्तीय बोली खोलने के लिए अर्हता प्राप्त की। मेसर्स अरोड़ा कंस्ट्रक्शन बिलासपुर ने सबसे कम दर यानी एसओआर से 5.22 प्रतिशत नीचे (बिलो) रेट कोड किया। इस हिसाब से जांजगीर-चांपा जिले में बाराद्वार (15000 मीट्रिक टन)-सक्ती (7200 मीट्रिक टन) में गोदाम का निर्माण कार्य मेसर्स अरोड़ा कंस्ट्रक्शन बिलासपुर को कुल 12.75 करोड़ की लागत से दिया गया।

महालेखाकार ने पकड़ी गड़बड़ी

इस संबंध में लेखापरीक्षा ने पाया कि कि ठेकेदार ने निविदा शर्त को पूरा नहीं किया, क्योंकि इसका औसत वार्षिक वित्तीय कारोबार योग्य टर्नओवर के मुकाबले 3.66 करोड़ था। निगम ने 4.04 करोड़ वार्षिक टर्नओवर का मानदंड रखा था। योग्यता मानदंडों को अनदेखा करते हुए निगम की निविदा तकनीकी समिति ने तकनीकी रूप से ठेकेदार को अर्हता प्राप्त बताया और उसे काम सौंप दिया। कार्य प्रदान करना निविदा की अनिवार्य शर्तों का उल्लंघन है और नियमानुसार नहीं है, अत्यधिक आपत्तिजनक है। इसके परिणामस्वरूप अपात्र बोलीदाता को 12.75 करोड़ की राशि का कार्य अनियमित रूप से दिया गया तथा ठेकेदार को अनुचित लाभ दिया गया।

तकनीकी समिति में शामिल थे ये अधिकारी

बताया गया है कि वेयर हाउस द्वारा निविदा के संबंध में जो टेक्नीकल कमेटी बनाई गई थी, उसमें सहायक अभियंता ताराचंद गबेल, अवधेश कुमार गुप्ता, प्रबंधक लेखा एवं उपसंचालक वित्त मनोज सिंह, प्रबंधक वाणिज्य मो. आगा हुसैन शामिल थे। इन लोगों ने अपात्र को पात्र घोषित कर इस अपात्र निविदाकार की फाइनेंशियल बीड खोलने की अनुशंसा की, जबकि नियमानुसार फाइनेंशियल बीड खोली ही नहीं जानी थी। यह भी उल्लेखनीय है कि अरोरा कंस्ट्रक्शन ने स्वयं निविदा में औसत वार्षिक टर्नओवर 3.6 करोड़ घोषित किया और इसे दस्तावेज के साथ प्रस्तुत किया था। यह मामला तत्कालीन एमडी अभिनव अग्रवाल के कार्यकाल का है।

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