चूल्हे की चिंगारी से झोपड़ी में भड़की आग, दादी और पोता-पोती जिंदा जले
कोठी थाना क्षेत्र के नयागांव में दर्दनाक घटना, तीन की मौत से परिवार में छाया मातम, पूरा गांव स्तब्ध
सतना. कोठी थाना क्षेत्र अंतर्गत नयागांव में शनिवार की शाम झोपड़ी में आग लगने से एक ही परिवार के तीन सदस्य जिंदा जल गए। मृतकों में एक वृद्धा और उसके पोता-पोती शामिल हैं। जिस समय यह हादसा हुआ, घर के अन्य सदस्य खेत गए थे। आग बुझा रहे ग्रामीणों को तीन लोगों के जिंदा जलने की जानकारी आग बुझने के बाद लगी। आग बुझते ही तीनों को झोपड़ी से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थी। शाम करीब पौने 6 बजे हुए इस हादसे के आधे घ्ंाटे बाद पुलिस और दमकलकर्मी मौके पर पहुंचे। लेकिन, तब तक झोपड़ी की आग बुझाकर तीनों को बाहर निकाल लिया गया था। सभी बुरी तरह झुलस चुके थे। तीनों के शव कोठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेज दिए गय्ए, जहां रविवार को पोस्टमार्टम कराया जायेगा। घटना में 65 वर्षीय विद्याबाई डोहर, उसकी 5 साल की पोती कीर्ति पिता कौशलेंद्र और 7 साल के पोते सागर डोहर पिता विकास डोहर की मौत हो गई। मृत बच्चे चचेरे भाई-बहन हैं। हादसे की सूचना मिलते ही सांसद गणेश सिंह, कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी धर्मवीर सिंह यादव मौके पर पहुंचे और पीडि़त परिवार से जानकारी ली। कलेक्टर ने पीडि़त परिवार को आर्थिक मदद देने के निर्देश दिए हैं।
झोपड़ी के अंदर खाना खा रहे थे मासूम
झोपड़ी में आग लगने से दो मासूम सहित वृद्धा की मौत के बाद गांव में मातम छा गया। ग्रामीणों ने बताया कि जिस वक्त हादसा हुआ उस समय कीर्ति और सागर खाना खा रहे थे। बाहर काम कर रही विद्याबाई झोपड़ी से आग की लपट देखी तो बच्चों को बचाने अंदर गई। तभी धू-धू कर जल रहे झोपड़े का एक हिस्सा उनके ऊपर गिर गया। मलबे में दबने के कारण तीनों बाहर नहीं निकल सके और आग में जिंदा जल गए। माना जा रहा कि झोपड़ी के बगल में जल रहे चूल्हे से पहले पैरा में आग भड़की और अचानक पूरी झोपड़ी को चपेट में ले लिया।
आग बुझा रहे ग्रामीणों को नहीं लगी भनक
बताया गया कि झोपड़ी में आग लगने से लंबी लपटें उठीं, जिसे देख ग्रामीण भागते हुए मौके पर पहुंचे और आग बुझाने में जुट गए। लेकिन, तब तक उन्हें झोपड़े के अंदर किसी के होने की भनक नहीं लगी। आग पर काबू पाने के बाद राख के मलबे में लाशें दिखीं तो मौके पर चीख पुकार मच गई। तीनों को मलबे से बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
झोपड़ी बनी काल
लोगों ने बताया कि डोहर परिवार घर के पीछे पक्के मकान का निर्माण करा है। इसके चलते पुराने घर को गिराकर रहने के लिए अस्थाई रूप से कांस की झोपड़ी बनाई गई थी। उसके अंदर बाइक, साइकिल सहित गृहस्थी का पूरा सामान रखा था, जो जलकर खाक हो गया। डोहर परिवार को लिए झोपड़ी काल बन गई और वृद्धा सहित घर के चिराग छीन लिए।
दोनों के पिता करते हैं मजदूरी
ग्रामीणों को रोजगार देने की मनरेगा योजना की पोल भी इस आग ने खोल दी है। आग से मृत दोनों मासूम के पिता बाहर मजदूरी करते हैं। ग्रामीणों की मानें तो कौशलेंद्र मुंबई में काम करता है। जबकि, विकास सूरत में मजदूरी करता है।
मौके पर लगा मजमा
भैंसवार में हृदयविदारक घटना के बाद मौके पर लोगों का मजमा लग गया। सांसद गणेश सिंह, कलेक्टर अनुराग वर्मा, एसपी धर्मवीर सिंह, वंदना बागरी सहित अन्य मौके पर पहुंचे। सांसद गणेश सिंह ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को दी। साथ ही पीडि़त परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।