डायबिटीज बन सकती है किडनी फेलियर का कारण, समय से शुरू करें इलाज

Diabetes: जब भी कोई बीमारी होती है तो वह शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करती है। डायबिटीज भी ऐसी ही एक बीमारी है, जिसके कारण किडनी की समस्या हो सकती है। डायबिटीज वाले हर तीन में से लगभग एक वयस्क को किडनी की बीमारी होती है। डायबिटिक किडनी बीमारी तब होती है जब किडनी के फिल्टर (ग्लोमेरुली) डेमेज हो जाते हैं और किडनी खून से यूरिन में असामान्य मात्रा में प्रोटीन रिलीज करने लगती है।

किडनी रोग विशेषज्ञ डा. जयसिंह अरोरा के अनुसार, टाइप वन डायबिटीज के रोगियों में टाइप टू डायबिटीज वाले रोगियों की तुलना में किडनी से संबंधित बीमारियों की आशंका अधिक होती है। इसके लक्षण भूख न लगना, वजन घटना, सूखी खुजली वाली त्वचा, पैरों में सूजन, बार-बार यूरिन आना, बार-बार बीमार होना आदि हैं। यह स्थिति शरीर के लिए खतरनाक हो सकती है। अगर इलाज न किया जाए तो किडनी भी फेल हो सकती है।

डायालिसिस कराने वाले हर तीन से चार मरीजों में से एक मरीज की किडनी खराब होने का कारण डायाबिटीज होता है। किडनी के इस नुकसान से शुरू-शुरू में पेशाब में प्रोटीन जाने लगता है, जो भविष्य में होने वाले किडनी के गंभीर रोग की प्रथम निशानी है। इसके बाद शरीर से पानी और क्षार का निकलना जरूरत से कम हो जाता है, फलस्वरूप शरीर में सूजन होने लगती है और खून का दबाव बढ़ने लगता है।
किडनी को अधिक नुकसान होने पर किडनी के शुद्धीकरण का कार्य कम होने लगता है और खून में क्रिएटिनिन और यूरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसपर विशेष तौर पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

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