Dhamtari: रोज दस लाख का टमाटर बेच रहा धमतरी का किसान, हर दिन 700 कैरेट टमाटर का उत्पादन
रामाधार यादव, धमतरी (नईदुनिया प्रतिनिधि)। टमाटर इन दिनों अपनी कीमत की वजह से चर्चा में है। इस बीच जिले के नगरी के किसान अरुण साहू प्रतिदिन साढ़े 10 लाख रुपये का टमाटर बेचकर सुर्खियां बटोर रहे हैं। थोक में 60 रुपये प्रति किलो टमाटर बिकने का लाभ उन्हें मिला। वे अकेले प्रतिदिन 700 क्रेट टमाटर बाजार में आपूर्ति कर रहे हैं।
उन्होंने लीज पर खेत लेकर 150 एकड़ रकबे में कलमी पद्धति से बैंगन की जड़ में टमाटर के पौधे उगाए हैं, जिसके कारण उनकी फसल में अन्य किसानों की तरह कीड़ा नहीं लगा है। उनका टमाटर प्रदेशभर के अलावा ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल में भी जा रहा हैं। उनका कहना है कि अपने प्रदेश को पहले प्राथमिकता देते हैं, ताकि यहां टमाटर के दाम अधिक न बढ़े।
किसान अरुण साहू ने बताया कि फरवरी-मार्च में उन्होंने एक रुपये किलो टमाटर बेचा। 15 मई को टमाटर 700 रुपये क्रेट के भाव से बेचा। 25 जून के बाद टमाटर के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इन दिनों वे थोक सब्जी विक्रेताओं को 1500 रुपये प्रति क्रेट की दर से टमाटर बेच रहे है। एक क्रेट 25 किलो का होता है। उन्होंने ग्राम बिरनपुर, भुरसीडोंगरी, फरसिया, सिहावा के गढ़िया के खेतों में 150 एकड़ रकबे में टमाटर की फसल लगाई है।
वर्षा एवं कीड़ों के कारण अन्य किसानों की फसल चौपट हो गई, लेकिन उनकी बाड़ी में सब्जी का भरपूर उत्पादन हो रहा है। उन्होंने खास तकनीक से बैंगन के पौधों की जड़ में ग्राफ्टिंग कर टमाटर की फसल लगाई थी, जिसके कारण विपरीत परिस्थिति में भी बंपर पैदावार हुई है।
ऐसे समझे टमाटर की खेती गणित
अरुण ने बताया कि प्रति एकड़ टमाटर खेती की लागत तीन लाख रुपये आती है। साथ ही पूरे सीजन में 700 क्रेट उत्पादन होता है। 20 से 25 हजार रुपये खेत मालिक को लीज का देना पड़ता है। 1.30 लाख रुपये पौधे तैयार करने की लागत आती है। खाद, कीटनाशक दवाई, मजदूरी, बांस, तार बांधने सहित अन्य कार्यों की लागत डेढ़ लाख रुपए आती है। इस तरह कुल तीन लाख रुपये की लागत आती है। यानी प्रतिदिन साढ़े 10 लाख रुपये का टमाटर बेचकर वे साढ़े सात लाख का मुनाफा कमा रहे हैं।
लीज पर टमाटर की खेती
अरुण साहू वर्ष 2007 से खेती कर रहे हैं। वे लीज पर जमीन लेकर खेती करते हैं। वे जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 300 एकड़ से अधिक में खेती कर रहे है। 150 एकड़ में टमाटर के साथ शेष 150 एकड़ रकबे में अन्य सब्जियों की फसल ले रहे हैं। वे ग्रामीण क्षेत्र के 500 लोगों को रोजगार देते हैं।
पढ़ाई बीच में छोड़कर शुरू की खेती
किसान अरुण ने बताया कि विद्यार्थी जीवन से सोच लिया था कि नौकरी नहीं करेंगे। बीएससी कंप्यूटर साइंस प्रथम वर्ष में पढ़ाई छोड़कर अपने घर लौट आए। उन्होंने रायपुर निवासी बीज कंपनी के संचालक विमल भाई चावड़ा से हाईटेक खेती को समझने के लिए सलाह ली।
बीमारी बहुत कम लगती है
कलमी पद्धति से तैयार पौधों में बीमारी बहुत कम लगती है और उत्पादन बहुत अधिक होता है।
डीएस कुशवाहा, सहायक संचालक, उद्यानिकी विभाग