होली पर ब्रांडेड गुलाल को टक्कर देंगी ग्रामीण महिलाएं, स्वावलंबन की दिशा में बढ़ा रही कदम

मोबाइल के ज़रिए भी मिलेगा हर्बल गुलाल

महासमुंद.  इस बार होली को लेकर बिहान समूह से जुड़े महिलाओं के द्वारा हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है। स्व सहायता समूह की स्वरोजगार से जुड़ी महिलाएं दिन-रात हर्बल गुलाल तैयार करने में लगी है। इस गुलाल को लगाने से जहां चेहरे पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। महिला स्व-सहायता समूह के जरिए तैयार किए जा रहे इन हर्बल गुलाल और हर्बल रंग की कई विशेषताएं हैं। इसमें फूलों के रंग का इस्तेमाल किया जाता है। इतना ही नहीं गुलाल और रंग में महक के लिए भी फूलों का ही इस्तेमाल किया जाता है। इसमें किसी भी तरह का केमिकल नहीं मिलाया जाता है, जो नुकसान करे। यही वजह है कि इस गुलाल और रंग की डिमांड ज़िले सहित आसपास के ज़िलो में से भी आ रही है। वहीं, महिलाओं को घर बैठे स्वरोजगार भी उपलब्ध हो रहा है। महासमुन्द विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बिरकोनी के माया महिला स्व सहायता समूह द्वारा पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी होली के लिए जड़ी, बुटी व फूलों से हर्बल गुलाल बनाने का कार्य कर रही है।
संस्था से जुड़ी 15 ग्रामीण महिलाओं के द्वारा होली के लिए हर्बल गुलाल बनाया जा रहा है। समूह की दीदी माया कश्यप ने बताया कि पिछले वर्ष सिर्फ़ एक दिवसीय प्रशिक्षण पाकर महिलाओं के द्वारा प्राकृतिक साग-भाजी, टेसू फूल, हल्दी, चुकंदर आदि से हाथों से इस हर्बल गुलाल को तैयार किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया है कि इस गुलाल का कोई साइड इफेक्ट नहीं है। महिलाएं घर बैठे इस अबीर को तैयार कर रही है ताकि उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ स्वरोजगार भी घर पर मिल रहा है। महिलाओं के लिए नई रोशनी बना ये मिशन एक समय आर्थिक रूप से दुर्बल इन महिलाओं के सामने भविष्य में अंधेरे के सिवा कुछ भी नहीं था। ऐसे में छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन इन लोगों के लिए नई रोशनी बनकर आयाा। आज ये महिलाएं इस योजना का लाभ लेते हुए न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत हो चुकी हैं बल्कि अब दूसरों को भी आर्थिक रूप से मजबूत कर रही हैं।
माया समूह की महिलाओं ने बताया इसके अलावा पीला, संतरा, लाल एवं चंदन रंग के गुलाल का निर्माण किया जा रहा है। जिसका विक्रय स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा गौठान परिसर बिरकोनी के दुकान के माध्यम से किया जा रहा है। जंगलों-में जाकर टेसू फूल चुनकर उनका भी हर्बल गुलाल बनाया गया है। किंतु उसकी मात्रा कम है। सुश्री माया ने बताया कि हर्बल गुलाल का ऑर्डर स्व-सहायता समूह के मोबाईल नम्बर 93400-00982 में कॉल करके भी ले सकते है। हर्बल गुलाल बनाने मंें हल्दी, ईत्र, पलास का फूल एवं खाने का चुना आदि का उपयोग किया गया है। 100 ग्राम हर्बल गुलाल की क़ीमत मात्र 10 रुपए है। वर्तमान में समूह द्वारा लगभग 7 किलोग्राम गुलाल निर्मित किया जा चुका है और हर्बल गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत श्री एस. आलोक ने बताया कि समूह से जुड़ी महिलाओं को उनकी अभिरुचि और स्थानीय बाज़ार मांग और समय को देखते हुए विभिन्न कार्यों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा कई तरह के प्रशिक्षण दिया गया है ताकि महिलाएं घर बैठे ही स्वरोजगार से जुड़ सके हैं और उसका लाभ ले सकें। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देने और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रशिक्षण दिए जा रहे है। उन्होंने कहा कि गोधन योजना के तहत ज़िले की गौठानो में मल्टीएक्टिविटी भी की जा रही है। उन्होंने बताया के जिले में स्व-सहायता की महिलाओं को उनकी अभिरुचि और स्थानीय बाजारू मांग के मुताबिक अन्य कार्यों के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। अन्य स्थानों पर महिलाएं अपने गांव में घरों में एक साथ बैठकर अरारोट और नेचुरल रंग से हर्बल गुलाल तैयार कर रहे हैं। इस हर्बल गुलाल को बाजार में बिक्री के बाद महिलाओं को काफी फायदा होगा और उन्हें घर बैठे स्वरोजगार भी मिलेगा, जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनेगी।
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित करके इस स्तर पर लाया जाता है कि उनके द्वारा तैयार किए गए माल को बाजार में एक अच्छी क्वालिटी के साथ बेचा जा सके। इसके लिए विभाग की तरफ से पूरा सहयोग किया जाता है। माल के लिए बाजार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी विभाग की तरफ से पूरी की जाती है। इस बार होली के त्यौहार पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तमाम प्रोडक्ट जिसमें हर्बल गुलाल-हर्बल रंग और इस त्यौहार पर बनने वाले चिप्स ,पापड़ और नमकीन को भी तैयार किया जा रहा।

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