BJP को क्यों नहीं हराया जा सकता? प्रशांत किशोर ने बताई वजह, विपक्षी एकता पर…

नई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाने वालों में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यात्रा की असली परीक्षा जमीनी प्रभाव के जरिए होगी। साथ ही उन्होंने विपक्षी दलों की एकता पर भी संदेह जारी किया है और कहा है कि ‘वैचारिक गठबंधन’ नहीं होने तक भारतीय जनता पार्टी को नहीं हराया जा सकता।

किशोर ने सोमवार को कहा कि अस्थिर और विचारधारा के स्तर पर अलग-अलग बंटे होने के कारण विपक्षी एकता 2024 में काम नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता केवल दिखावा है और पार्टियों और नेताओं को केवल एकसाथ लाने से ही यह साकार नहीं होगी। 

एक चैनल से खास बातचीत में उन्होंने कहा, ‘अगर आप भाजपा को चुनौती देना चाहती है, तो आपको उसकी ताकत (हिंदुत्व, राष्ट्रवाद और कल्याणवाद) समझनी होगी। यह तीन स्तरीय है। अगर आप इनमें से कम से कम दो भी भेदने में सफल नहीं होते हैं, तो आप भाजपा को चुनौती नहीं दे सकते।’

उन्होंने कहा, ‘हिंदुत्व की विचारधारा से लड़ने के लिए विचारधाराओं का गठबंधन होना चाहिए। गांधीवादी, आंबेडकरवादी, समाजवादी, वामपंथी… विचारधारा बेहद जरूरी है, लेकिन आप विचारधारा के आधार पर अंधा भरोसा नहीं रख सकते।’ उन्होंने कहा, ‘… जब तक वैचारिक समानता नहीं आएगी। तब तक भाजपा को हराया ही नहीं जा सकता।’

वह अपनी विचारधारा को महात्मा गांधी की विचारधारा बताते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार की जन सुराज यात्रा गांधी की कांग्रेस को फिर जीवित करने की कोशिश है। उन्होंने जन सुराज यात्रा को लेकर कहा, ‘यह बिहार के आसपास स्थिति बदलने के लिए है। बिहार को जातिवाद की राजनीति और कई गलत कारणों से जाना जाता है। अब समय आ गया है कि बिहार को लोगों की क्षमताओं से जाना जाए।’

कांग्रेस और भारत जोड़ो यात्रा
कांग्रेस के साथ टकराव पर किशोर ने कहा, ‘मेरा मकसद कांग्रेस को दोबारा तैयार करना था। उनका मकसद चुनाव जीतना था। वे जिस तरह से मेरे विचारों को लागू करना चाहते थे, उसपर हम सहमत नहीं हुए।’

भारत जोड़ो यात्रा को लेकर चुनावी रणनीतिकार ने कहा, ‘केवल चलने से मतलब नहीं है। भारत जोड़ो यात्रा के 6 महीनों में काफी तारीफ और आलोचना भी रही। 6 महीनों तक चलने के बाद आपको फर्क नजर आना जरूरी है? यात्रा पार्टी की चुनावी स्थिति बदलने के लिए की गई थी। मैं अब तक केवल चार जिले ही कवर कर पाया हूं। मेरे लिए यात्रा मिशन नहीं नहीं, बल्कि क्षेत्र को जानने का तरीका है।’

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