क्यों बिना टिकट ट्रेन में चढ़े थे धीरेंद्र शास्त्री और कैसे TTE से ही ले लिए 1100 रुपये

बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री अपने कथित चमत्कारों के चलते अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। अब उन्होंने बताया है कि क्यों एक बार वह बिना टिकट लिए एसी ट्रेन में चढ़ गए थे और फिर कैसे टीटीई से ही 1100 रुपये लेकर नीचे उतरे थे।

धीरेंद्र शास्त्री ने एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में यह पूरा किस्सा सुनाते हुए बताया कि जब वह छोटे थे तब एक बार मथुरा वृंदावन की परिक्रमा लगाने के लिए गए थे। उस वक्त उनकी जेब में महज 1300 रुपये और एक मोबाइल फोन था। परिक्रमा के बाद वापसी के दौरान मथुरा जंक्शन पर उनकी जेब कट गई थी और टिकट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं बचे थे।

वॉस बेसिन के पास खड़े होकर की यात्रा

इसके बाद उन्होंने पास एक डिब्बे के अंदर रखी बजरंगबली की मूर्ति से मदद मांगी और देर रात एक एक्सप्रेस ट्रेन के एसी डिब्बे में चढ़ गए। ट्रेन के अंदर सभी सीटें फुल होने के चलते वह दरवाजे के करीब लगे वॉस बेसिन के पास खड़े होकर यात्रा कर रहे थे। इस बीच एक टीटीआई उनके पास आया और टिकट दिखाने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि अगर हमारे पास टिकट होती तो हम यहां नहीं खड़े होते बल्कि अंदर बैठककर जाते।

टीटीई को बताई पूरी कुंडली

तब टीटीई ने उन्हें छोटा बच्चा समझकर अगले स्टेशन पर उतर कर जनरल डिब्बे में जाने को कहा, तब धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जनरल डिब्बे में ही जाना होता तो एसी डिब्बे में ही क्यों आते। इस पर टीटीआई ने उन्हें फाइन भरने या जेल जाने को कहा तो उन्होंने फिर तुरंत बजरंगबली से मदद मांगी और टीटीई का नाम, पिता का नाम, पत्नी का नाम और बेटा न होने के बारे में सारी जानकारी बताई तो टीटीई दंग रह गया और उन्हें अपनी सीट पर ले जाकर बैठा दिया खुद उनके सामने हाथ जोड़कर बैठ गया।

इसके बाद टीटीई ने उन्हें कॉफी पिलाई और सुबह ट्रेन से उतरते वक्त दक्षिणा के रूप में 1100 रुपये भी दिए। इस तरह वह सुखद यात्रा कर वापस अपने धाम वापस लौट आए थे। 

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