राहुल गांधी के ही रास्ते पर हैं वरुण गांधी! राजनीति से इतर उठा रहे मुद्दे, किताब की चर्चा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी लगातार यह कहते रहे हैं कि उनकी भारत जोड़ो यात्रा का मकसद राजनीतिक नहीं रहा है। इसके अलावा वह राजनीतिक संघर्ष की बजाय वैचारिक लड़ाई की बात करते रहे हैं। आरएसएस और भाजपा की विचारधारा पर वह खुलकर हमला बोलते रहे हैं। यही नहीं अब उनके चचेरे भाई वरुण गांधी भी राजनीति से इतर दूसरे मुद्दों पर सक्रिय दिख रहे हैं। वरुण गांधी ने दरअसल ‘The Indian Metropolis’ नाम से एक किताब लिखी है, जिसकी वह अकसर चर्चा करते हैं। इस किताब का जिक्र वह साथी सांसदों से भी कर रहे हैं और उनका कहना है कि ज्यादातर लोगों ने उनकी कोशिश को सराहा है।
इस पुस्तक में वरुण गांधी ने भारत में शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर, गरीबों की स्थिति और रोजगार के मुद्दों को उठाया है। इसके अलावा उन्होंने शहरों में अत्यधिक महंगाई के चलते चंद दिनों की बेरोजगारी में भी गरीब लोगों के न टिक पाने का मुद्दा भी उठाया है। किताब के जरिए वरुण गांधी कहते हैं कि हमारे शासकों ने शहरी व्यवस्था को सुखमय बनाने पर ध्यान ही नहीं दिया। बेसिक सुविधाओं को भी अभाव दिखता है, जैसे कूड़े के निपटान की व्यवस्था कमजोर है और पैदल चलने के लिए भी सही रास्तों की कमी नजर आती है। सबसे अहम सवाल उनका शहरों में जीवन की गुणवत्ता को लेकर है।
उठाया सवाल- लॉकडाउन में रुक नहीं पाए लोग, यह कैसी शहरी व्यवस्था
वरुण गांधी सवाल उठाते हैं कि हमारी शहरी व्यवस्था ऐसी है कि कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन की जरूरत पड़ी तो लोग यहां चंद दिन भी रुक नहीं सके। किसी भी हाल में उन्हें पलायन करना पड़ गया। वह कहते हैं, ‘मैंने शहरों में रहने वाले हजारों लोगों से बात की थी, जो कोरोना के संकट से उबर रहे थे। इस दौरान हमें यह समझ आया कि शहरों में जिंदगी चुनौतीपूर्ण हो गई है।’ उन्होंने कहा कि बहुत से लोगों ने कहा कि हमें यहां यात्रा करने में बहुत मुश्किल आती है। यहां तक कि डेली नौकरी पर पहुंचना और लौटना भी एक चैलेंज है। इसके अलावा बहुत से लोगों ने नौकरी मिलने में बड़े संकट की बात कही।
क्या किताब से वरुण को मिलेगा कोई चुनावी फायदा
साफ है कि वरुण गांधी की इस पुस्तक का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि वह एक ऐसा मुद्दा उठा रहे हैं, जिसका कोई चुनावी फायदा मिलता नहीं दिखता। बता दें कि वरुण गांधी के सियासी करियर को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। वह भाजपा से नाराज चल रहे हैं और पार्टी भी उन्हें कोई अहम भूमिका नहीं दे रही है। उनके कांग्रेस तक में जाने के कयास लगे हैं, लेकिन राहुल गांधी ने बीते दिनों यह कहकर इन पर विराम लगा दिया था कि वह संघ की विचारधारा के साथ हैं। यहां वह आएंगे तो उन्हें मुश्किल होगी।