56 पर SC/ST, 60 पर फोकस में अल्पसंख्यक; समझें 2024 से पहले BJP-कांग्रेस की सीट पॉलिटिक्स
2024 के लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कांग्रेस और बीजेपी अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के उद्देश्य से आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों और वंचित वर्गों के बीच जाने वाली है। कांग्रेस ने इन क्षेत्रों में नया पार्टी नेतृत्व बनाने के लिए अप्रैल 2023 का लक्ष्य रखा है। तो वहीं बीजेपी भी 10 राज्यों में अल्पसंख्यकों तक पहुंचने का प्लान बना रही है।
कांग्रेस के ‘नेतृत्व विकास मिशन’ के तहत, आने वाले तीन महीनों में 56 सीटों को चुना गया है। जिसके तहत पार्टी जिलों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक समूहों के होनहार व्यक्तियों की पहचान करेगी, जो पार्टी को मजबूती दे सकें।
कांग्रेस का प्लान
कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक, मिशन में नेताओं के लक्षित समूह में वे लोग होंगे, जिन्होंने पंचायत या स्थानीय निकाय चुनाव, जाति/समुदाय कार्यकर्ता, युवा राजनीति में हिस्सा लिया है। उन्हें पार्टी में नॉमिनेट किया जाएगा और अपने समुदायों के भीतर अपने प्रभाव को मजबूत करने के लिए ट्रेनिंग दी जाएगी।
ये नेता संसदीय चुनावों के लिए प्रमुख सामाजिक ब्लॉकों के बीच अतिरिक्त कांग्रेस आउटरीच के लिए सहायक होंगे। इनकी स्थिति पर अप्रैल के पहले सप्ताह में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
बीजेपी की रणनीति
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संदेश को हाशिए पर और अल्पसंख्यक समुदायों तक ले जाने के लिए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने 10 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में लगभग 60 लोकसभा क्षेत्रों की पहचान की है, जहां अल्पसंख्यकों की आबादी 30 प्रतिशत से अधिक है। पार्टी इन सीटों पर चार महीने का आउटरीच कार्यक्रम शुरू करेगी, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी का निर्वाचन क्षेत्र वायनाड भी शामिल है।
भाजपा कार्यकर्ता इनमें से प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से 5,000 लोगों की पहचान करेंगे जो प्रधानमंत्री मोदी या उनके कल्याणकारी कार्यक्रमों के तरफदार हों और उन्हें समुदाय तक पहुंचने के लिए एंबेसडर के रूप में नियुक्त किया जाएगा।
पहल के हिस्से के रूप में, पार्टी मार्च-अप्रैल में एक स्कूटर यात्रा और एक स्नेह यात्रा का आयोजन करेगी और मई में पीएम मोदी की तरफ से संबोधित दिल्ली में एक सार्वजनिक रैली के साथ आउटरीच का समापन होगा। इस कार्यक्रम में 60 सीटों के सभी एंबेसडर शामिल होंगे।