गहलोत-पायलट की लड़ाई को भुनाने के लिए BJP ने बदला प्लान, वसुंधरा को…

राजस्थान के इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा सामूहिक नेतृत्व में चुनाव मैदान में उतरेंगी। हालांकि रणनीति के तहत चुनाव अभियान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को आगे रखा जाएगा। राज्य में भाजपा, कांग्रेस की सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल व अंतर्कलह का लाभ उठाने की कोशिश में है, लेकिन उसके अपने अंदरूनी अंतर्विरोध भी कम नहीं हैं।

राजस्थान को विधानसभा चुनाव से साल भर पहले ही राज्यव्यापी जन आक्रोश यात्राओं से मथ चुकी भाजपा इस राज्य में अमूमन हर पांच साल में सत्ता बदलने के रिवाज को कायम रखने में जुटी है। राज्य की राजनीतिक स्थितियां व माहौल को भाजपा अपने पक्ष में मान रही है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व दूसरे बड़े नेता सचिन पायलट का झगड़ा है। दो साल पहले उसे बड़ी अंदरुनी बगावत का सामना भी करना पड़ा था।

सूत्रों के अनुसार, राजस्थान में भाजपा नेतृत्व ने अब और कोई प्रयोग करने के बजाय मौजूदा स्वरूप में ही आगे बढ़ने का मन बनाया हुआ है। वसुंधरा समर्थक व विरोधी खेमों में किसी को भी तरजीह दिए बगैर सामूहिक नेतृत्व की ही बात कही जाएगाी। वसुंधरा राजे उसकी मजबूरी है। दरअसल बीते छह साल में वसुंधरा की जगह नए नेतृत्त्व को उभारने की उसकी कोशिशें सफल नहीं हो सकी हैं।

भाजपा राज्य में लगातार कांग्रेस के खिलाफ अभियान चलाए हुए है और साल के आखिर में होने वाले चुनाव में बड़ी जीत की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा ने यहां पर पेपर लीक को बड़ा मुद्दा बनाया हुआ है। पटवारी, शिक्षक समेत तमाम परीक्षाओं से जुड़े 16 बार पेपर लीक हो चुके हैं। कांग्रेस नेता सचिन पायलट भी अपनी सरकार को इस मुद्दे पर कठघरे में खड़ा कर रहे हैं। भाजपा के प्रभारी व महासचिव अरुण सिंह का कहना है कि राज्य में पूरी तरह से अराजकता है। राज्य की जनता खासकर युवाओं में गुस्सा है। किसान परेशान है और राज्य में कानून व्यव्सथा ध्वस्त है। महिलाओं व दलित पर अत्याचार हो रहे हैं।

गौरतलब है कि भाजपा ने हाल में राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र में जन आक्रोश यात्राओं को लेकर न केवल अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया है, बल्कि जनता तक भी अपनी व्यापक पहुंच बनाई है। इस दौरान केंद्रीय नेताओं के 52 कार्यक्रम हुए। उसके सांसदों ने 92 कार्यक्रम किए, जिनमें 90 सभाएं भी शामिल रही। विधायकों के 110 कार्यक्रम, प्रदेश पदाधिकारियों के 112 कार्यक्रम भी हुए। साथ ही पांच हजार से भी ज्यादा नुक्कड़ सभाएं हुई। पार्टी के आंकडो़ं के अनुसार एक करोड़ 20 लाख लोगों से संपर्क कर 95 लाख पत्रक भी बांटे गए।

राजस्थान में बीते विधानसभा चुनाव में 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थी। भाजपा को 73, बसपा को छह, आरएलपी को तीन, माकपा व बीटीपी को 2-2 व 13 निर्दलीय जीते थे। इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को सूपड़ा साफ हो गया था और सभी 25 सीटें राजग को मिली थी, जिनमें भाजपा को 24 व उसके सहयोगी को एक सीट मिली थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button