पाकिस्तान में सिंधु आयोग की बैठक में शामिल होगा भारत, सीनियर अधिकारियों ने दी ये जानकारी

नई दिल्ली: पाकिस्तान में एक से तीन मार्च के बीच आयोजित होने वाली स्थायी सिंधु आयोग की सालाना बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल भी शामिल होगा। जल शक्ति मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

अधिकारी ने कहा कि दोनों देशों के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर के बाद पहली बार तीन महिला अधिकारी भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगी, जो बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर भारतीय आयुक्त को सलाह देंगी। पिछले साल पाकिस्तान के सिंधु जल आयुक्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सालाना बैठक के लिए भारत आया था।

भारत के सिंधु जल आयुक्त प्रदीप कुमार सक्सेना ने कहा कि स्थायी सिंधु आयोग की वार्षिक बैठक पाकिस्तान के इस्लामाबाद में एक से तीन मार्च, 2022 के बीच होगी। प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय जल आयोग, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, राष्ट्रीय जलविद्युत ऊर्जा निगम और विदेश मंत्रालय से संबंधित सक्सेना के सलाहकार शामिल होंगे। भारतीय प्रतिनिधिमंडल अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान के लिए होगा रवाना पाकिस्तानी पक्ष का नेतृत्व वहां के सिंधु जल आयुक्त सैयद मुहम्मद मेहर अली शाह करेंगे।

भारतीय प्रतिनिधिमंडल 28 फरवरी को अटारी बॉर्डर से पाकिस्तान के लिए रवाना होगा और चार मार्च को लौटेगा। अधिकारियों ने बताया कि दोनों आयुक्तों के बीच बैठक के एजेंडे को अंतिम रूप दिया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर में चिनाब बेसिन में पाकल दुल (1,000 मेगावाट), लोअर कलनई (48 मेगावाट), किरू (624 मेगावाट) और लद्दाख में कुछ छोटी जलविद्युत परियोजनाओं पर पाकिस्तान की आपत्तियों के चर्चा के एजेंडे में शामिल होने की संभावना है।

संधि के अनुसार भारत को डिजाइन और संचालन के लिए विशिष्ट मानदंडों के अधीन पश्चिमी नदियों पर रन-ऑफ-द-रिवर परियोजनाओं के माध्यम से जलविद्युत उत्पन्न करने का अधिकार दिया गया है। यह समझौता पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों पर भारतीय जलविद्युत परियोजनाओं के डिजाइन पर आपत्ति जताने का अधिकार भी देता है।

इन परियोजनाओं के डिजाइन पर पाकिस्तान ने आपत्ति जताई है। बैठक में भारतीय पक्ष पाकिस्तान को साफ करेगा अपनी स्थिति हालांकि, भारत दावा करता है कि परियोजना का डिजाइन सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) के प्रावधानों के अनुरूप है और केंद्रीय जल आयोग और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, जल संसाधनों के क्षेत्र में देश के शीर्ष संगठनों द्वारा प्रमाणित है।

सक्सेना ने कहा कि आगामी बैठक में भारतीय पक्ष पाकिस्तान को अपनी स्थिति स्पष्ट करेगा। साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित आईडब्ल्यूटी के तहत पूर्वी नदियों-सतलज, ब्यास और रावी का कुछ जल (लगभग 330 लाख एकड़ फुट-एमएएफ) सालाना उपयोग के लिए भारत को आवंटित किया जाता है। पश्चिमी नदियों- सिंधु, झेलम और चिनाब- का पानी (लगभग 135 एमएएफ सालाना) अधिकतर पाकिस्तान को सौंपा गया है।

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