विश्वकर्मा जी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा,आज इस विधि-विधान से करें भगवान की आराधना
नई दिल्ली: पूरे देश में आज भगवान विश्वकर्मा जी का जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा। हर साल सूर्य कैलेंडर के आधार पर 17 सितंबर यानी सृष्टि के वास्तुकार भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाने की परंपरा चली आ रही है. इस दिन भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा-अर्चना करने से विशेष पुण्य फ़ल की प्राप्ति होती है.
मान्यता है कि इस पृथ्वी पर जो भी चीजें मौजूद हैं उसका निर्माण भगवान विश्वकर्मा के द्वारा ही हुआ है। शास्त्रों के अनुसार भगवान ब्रह्रााजी ने इस समूची सृष्टि की रचना की और भगवान विश्वकर्मा ने सृष्टि को सुंदर तरीके से सजाया और संवारा है।
भगवान विश्वकर्मा को इस सृष्टि का सबसे बड़ा इंजीनियर माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा वास्तु की संतान थे और वास्तु के पिता भगवान ब्रह्राा जी ही थे। इस कारण से भगवान विश्वकर्मा को वास्तुशास्त्र की जनक माना गया है।
विश्वकर्मा जयंती पूजा 2022 शुभ मुहूर्त
17 सितंबर 2022 को विश्वकर्मा जयंती है और इस दिन सम्पूर्ण विश्व के वास्तुकार, मंदिरों, देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्रों आदि का निर्माण करने वाले भगवान विश्वकर्मा की पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के लिए तीन शुभ मुहूर्त होंगे।
पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 07:39 बजे से सुबह 09:11 बजे तक
दूसरा शुभ मुहूर्त- दोपहर 01:48 बजे से दोपहर 03:20 बजे तक
तीसरा शुभ मुहूर्त- दोपहर 03:20 बजे से शाम 04:52 बजे तक
विश्वकर्मा जयंती पूजा विधि
सबसे पहले विश्वकर्मा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठें।
फिर सुबह स्नानादि करने के बाद साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
इसके बाद पूजा का संकल्प लेते हुए भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति को स्थापित करते हुए पूजा आरंभ करें।
भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति के साथ संबंधित औजारों की पूजा करने का भी संकल्प लें।
इसके बाद विधि-विधान और शास्त्रों में बताई गई पूजा विधि से अनुष्ठान प्रारंभ करें।
भगवान विश्वकर्मा को पान,सुपारी, हल्दी,अक्षत,फूल,लौंग,फल और मिठाई अर्पित करें।
फिर धूप और दीप जलाकर भगवान विश्वकर्मा की आरती करें और रक्षासूत्र अर्पित करें।
भगवान विश्वकर्मा जी की पूजा के साथ कार्यालय की मशीनों और औजारों की पूजा करें।
अंत में भगवान विश्वकर्मा से पूजा में भूलवश हुई किसी गलती के लिए माफी मांगते हुए कारोबार में उन्नति की प्रार्थना करें और प्रसाद का वितरण करें।