एक क्लिक से देख पाएंगे मध्य भारत की ब्रिटिश कालीन रियासतों के दस्तावेज, हो रहा है डिजिटलाइजेशन
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 1798 से 1956 तक सक्रिय रही 20 रिसायतों के दस्तावेजों का डिडिटलाइजेशन किया जा रहा है। ब्रिटिश इंडिया काल के इन दस्तावेजों के ऑनलाइन उपलब्ध होने से देश-दुनिया के शोधकर्ताओं को अपने शोध कार्य में आसानी होगी। साथ ही इससे उस दौर के कामकाज पर नई रोशनी डाली जा सकेगी।
HIGHLIGHTS
- MP और महाराष्ट्र में शासन करने वाली 20 रियासतों के दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन।
- अब तक इंदौर के होल्कर राजवंश से जुड़े 10 लाख अभिलेखों को स्कैन किया जा चुका है।
- जिन 20 रियासतों के दस्तावेजों पर काम हो रहा है, वे 1798 से 1956 तक सक्रिय रही हैं।
प्रतिनिधि। ब्रिटिश काल के दौरान मध्यभारत में शासन करने वाली करीब 20 रियासतों के महत्वपूर्ण दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। डेढ़ सौ वर्ष से अधिक समय तक राज करने वाली इन रियासतों के कुल पौने सात करोड़ अभिलेख ऑनलाइन अपलोड किए जा रहे हैं।
इस परियोजना के पूरा होने के बाद ब्रिटिश कालीन भारत के रियासतों के राज-समाज में दिलचस्पी लेने वाले आम लोग भी इंटरनेट पर एक क्लिक की मदद से इन्हें देख पाएंगे। मध्यप्रदेश पुरातत्व, अभिलेखागार एवं संग्रहालय संचालनालय के पास रियासतों के पत्राचार और दूसरे दस्तावेजों का भंडार है।
1798 से 1956 तक सक्रिय थी रिसायतें
जिन 20 रियासतों के दस्तावेजों पर काम हो रहा है, वे 1798 से 1956 तक सक्रिय रही हैं। यही वह समय है जब देश अंग्रेजों से मुक्ति के संघर्ष से दोचार था। समय-समय पर शोधार्थियों को यह दस्तावेज उपलब्ध कराए जाते हैं, ताकि उस दौर के कामकाज पर नई रोशनी डाली जा सके।
इन दस्तावेजों को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए अब उनका डिजिटल संस्करण तैयार किया जा रहा है। यह काम इस साल फरवरी महीने से शुरू हुआ था। सितम्बर महीने तक इंदौर के होलकर राजवंश से जुड़े लगभग 10 लाख अभिलेखों की स्कैनिंग हो चुकी है। जल्द ही उन्हें पोर्टल पर अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
अंग्रेजी, हिंदी, उर्दू और फारसी में लिखे अभिलेख
विभाग के उपसंचालक नीलेश लोखंडे बताते हैं कि मध्यप्रदेश के गठन के समय मध्यभारत में शासन करने वाली सभी प्रमुख रियासतों के ऐतिहासिक दस्तावेजों को इकट्ठा किया गया था। इनमें सिंधिया रियासत और भोपाल रियासत के साथ होल्कर राजवंश समेत प्रदेश की छोटी-बड़ी करीब 20 रियासतें शामिल हैं।
इन रियासतों के महत्वपूर्ण अभिलेखों के साथ ब्रिटिश शासन के कुछ दस्तावेजों का भी डिजिटलाइजेशन किया जा रहा है। ये अभिलेख अंग्रेजी, हिंदी, मोढ़ी, उर्दू एवं फारसी भाषा में हैं। विभाग फिलहाल ऐसे दस्तावेजों को स्कैन कर रहा है जो अति जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। ऑनलाइन पोर्टल बनने के बाद उन्हें अपलोड करने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
शोधार्थी करते हैं अभिलेखों की सहायता से शोध
लोखंडे ने बताया कि अभी तक ये अभिलेख देश विदेश के शोधकर्ताओं को शोध कार्य के लिए उपलब्ध करवाए जाते हैं। हर वर्ष करीब 50 शोधार्थी अपने शोध कार्य के लिए इन अभिलेखों का उपयोग करते हैं।
साथ ही शासकीय एवं अशासकीय मांग पत्रों से संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाती है। विभिन्न अवसरों पर प्रदर्शनियां आयोजित कर लोगों को कुछ दस्तावेजों की जानकारी भी दी जाती है। डिजिटलाइजेशन होने से उन्हें ऑनलाइन सारी जानकारी उपलब्ध हो सकेगी।