भारत में एक बार फिर विशेष विमान से हो रही चीतों की वापसी

ग्वालियर: भारत से करीब 70 साल पहले चीता विलुप्त हो गए थे। भारत सरकार ने चीता को फिर से बसाने की पहल की है। अब इन्हें नामीबिया से स्पेशल चार्टर विमान के जरिये भारत लाया जा रहा है।

चीतों की फ्लाइट कल मध्य प्रदेश के ग्वालियर में लैंड करेगी, इससे पहले विमान को राजस्थान के जयपुर में लैंड कराने की योजना बनी थी लेकिन लॉजिस्टिक दिक्कतों की वजह से इसे ग्वालियर में लैंड कराने का फैसला किया गया है। 17 सितंबर की सुबह चीतों का प्लेन ग्वालियर में लैंड करेगा फिर इन्हें हेलीकॉप्टर के जरिये मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में ले जाया जाएगा। नामीबिया से आठ चीते भारत लाए जा रहे हैं, जिनमें पांच मादा और तीन नर चीते शामिल हैं।

इस वजह से ग्वालियर में लैंड करेगा विमान
बताया जा रहा है कि जयपुर के मुकाबले ग्वालियर से कूनो नेशनल पार्क की दूरी कम है। चीतों को कम समय में नेशनल पार्क में शिफ्ट किया जा सके, इसलिए यह फैसला किया गया है। ग्वालियर से तीन अलग-अलग हेलीकॉप्टर के जरिये चीते कूनो नेशनल पार्क ले जाए जाएंगे। कहा जा रहा है चीतों के नेशनल पार्क में शिफ्ट करने के कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे। पीएम मोदी का कल जन्मदिन भी है। बताया जा रहा है कि पीएम मोदी आठ में से दो चीतों की बाड़े में एंट्री कराएंगे।

विशेष विमान से हो रही चीतों की वापसी
चीतों को जिस विमान से भारत लाया जा रहा है, उसे विशेष तौर पर तैयार किया गया है. विमान के फेस को चीते के चेहरे का रूप दिया गया है। नामीबिया की एनजीओ चीता कंजर्वेशन फंड की मदद से ये चीते भारत लाए जा रहे हैं। पहली बार इस प्रोजेक्ट पर बातचीत 2009 में शुरू हुई थी। 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने नामीबिया से चीते भारत लाने के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी थी। पूरी परियोजना के लिए 91 करोड़ रुपये खर्च करने का बजट निर्धारित किया गया है। ऐसा पहली बार होगा जब कोई मांसाहारी जानवर एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप लाया जाएगा।

क्या है योजना?
भारत का वन्य जीव एवं पर्यावरण मंत्रालय नामीबिया के अलावा दक्षिण अफ्रीका से भी 12 चीते लाने की तैयारी कर रहा है। दक्षिण अफ्रीका से बातचीत अंतिम दौर में बताई जा रही है। दक्षिण अफ्रीका की एक टीम भारत का दौरा कर तैयारियों का जायजा भी ले चुकी है। वन्य जीव विशेषज्ञों के अनुसार, 35 से 45 चीतों की संख्या उन्हें भारत में बसाने के लिए जरूरी है, इसलिए पांच वर्षों तक हर साल 8 चीते तक भारत लाए जाएंगे।

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