ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी अमेरिका-भारत
नई दिल्ली : चीन की विस्तारवादी नीतियों की वजह से दक्षिण एशिया में उपजे भू-राजनीतिक और सैन्य अस्थिरता की वजह से भारत और अमेरिका ने ड्रैगन को मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है. इस समय चीन का भारत के साथ सीमा विवाद चल रहा है, तो आधिपत्य को लेकर ताइवान के साथ तनाव बना हुआ है. ऐसी स्थिति में भारत और अमेरिका की सेना ने उत्तराखंड में युद्धाभ्यास करने का फैसला किया है. चीन की वजह से तेजी से बदल रहे क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य के बीच भारत और अमेरिका की सेना उत्तराखंड के औली में अक्टूबर में दो सप्ताह के लिए युद्धाभ्यास करेगी.
14 से 31 अक्टूबर तक उत्तराखंड के औली में चलेगा युद्धाभ्यास
रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि उत्तराखंड के औली में 18 वां युद्धाभ्यास 14 से 31 अक्टूबर तक चलेगा. पिछला अभ्यास पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका के अलास्का में हुआ था. सूत्रों ने कहा कि इस यद्धाभ्यास का उद्देश्य भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच समझ, सहयोग और अंतर-संचालन को बढ़ाना है. पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत के सीमा विवाद की पृष्ठभूमि में यह युद्धाभ्यास आयोजित किया रहा है. पिछले कुछ वर्षों से भारत-अमेरिका रक्षा संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं. जून, 2016 में अमेरिका ने भारत को एक बड़े रक्षा साझेदार घोषित किया था.
क्यों महत्वपूर्ण है भारत-अमेरिका का यह युद्धाभ्यास
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, उत्तराखंड के औली में आयोजित किया जा रहा भारत-अमेरिका की सेना के बीच का यह युद्धाभ्यास इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्तराखंड के बाराहोती क्षेत्र में पिछले साल सितंबर में चीन के सैनिक भारतीय सीमा में करीब 5 किमी तक अंदर घुस आए थे. हालांकि, कुछ ही घंटों में चीन के सैनिकों को वापस खदेड़ दिया गया था. बताया जाता है कि बाराहोती में एक ऐसा चारागाह है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच विवाद है. ये चारागाह 60 स्क्वॉयर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है.
पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने दी जवाबी कार्रवाई की धमकी
अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइपे की सफल यात्रा के बाद चीन ने कहा कि वह ‘एक-चीन नीति का उल्लंघन करने को लेकर अमेरिका और ताइवान के खिलाफ कठोर एवं प्रभावी जवाबी कदम उठाएगा. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हम वही करेंगे, जो हमने कहा है. कृपया थोड़ा धैर्य रखें. चुनयिंग चीन की सहायक विदेश मंत्री भी हैं.
ताइवान को अपना हिस्सा मानता है चीन
चीन कहता रहा है कि ताइवान उसका अलग हुआ हिस्सा है और एक दिन यह फिर से मुख्य भूमि से जुड़ जाएगा. बीजिंग ने स्व-शासित द्वीप को मुख्य भूमि के साथ फिर से जोड़ने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया है.