जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन
टोक्यो: जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे का निधन होे गया है। आबे पर हमला क्यों हुआ और किसने इस साजिश को अंजाम दिया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। आबे वो लीडर हैं जिनका सम्मान दुनिया के कई नेता करते हैं। दो साल बाद वो पद पर नहीं हैं, लेकिन उनकी पॉपुलैरिटी कम नहीं हुई है। आबे को उस लीडर के तौर पर जनता जानती है, जो जमीन से जुड़ा रहा है। एक शांत व्यक्तित्व के नेता आबे ने पीएम रहते हुए चीन पर कई बार आक्रामक रुख अख्तियार किया। ये उनकी ही पहल थी कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन को घेरने के लिए क्वाड को फिर से बहाल किया गया। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि जापान के एक प्रभावशाली परिवार से आने वाले आबे ने अपने करियर की शुरुआत एक स्टील फैक्ट्री के साथ की थी। वो इस फैक्ट्री में वर्कर के तौर पर काम करते थे। आइए आज हम आपको उनके बारे में बताते हैं।
शिंजो आबे, एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं। आबे के दादा कैना आबे और पिता सिंतारो आबे, जापान के काफी लोकप्रिय राजनेताओं में थे। वहीं, उनकी मां जापान के पूर्व प्रधानमंत्री नोबोशुके किशी की बेटी थीं। किशी वर्ष 1957 से वर्ष 1960 तक जापान के प्रधानमंत्री थे। 21 सितंबर 1954 को टोक्यो में जन्मे आबे देश के प्रभावशाली परिवार से ताल्लुक रखते हैं। आबे नेओसाका में अपनी स्कूली की पढ़ाई पूरी की थी। यहां की साइकेई यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में ग्रेजुएशन किया और फिर आगे की पढ़ाई के जापान के घनिष्ठ मित्र देश अमेरिका चले गए। अमेरिका की सदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से उन्होंने अपनी बाकी की पढ़ाई पूरी की।
साल 2006 में लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के आबे को प्रधानमंत्री चुना गया। वो साल 2007 तक देश के पीएम रहे। जिस समय वो पीएम बने उनकी उम्र सिर्फ 52 साल थी। उनके नाम दो रिकॉर्ड दर्ज हुए। आबे न सिर्फ युद्ध के बाद देश के सबसे युवा पीएम बने बल्कि वह पहले ऐसे पीएम थे जिनका जन्म सेकेंड वर्ल्ड वॉर के बाद हुआ था। शिंजो आबे को नॉर्थ कोरिया के लिए उनके सख्त रवैये के लिए जाना जाता है। इसके अलावा वो देश के ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिसने सबसे लंबे समय तक इस पद को संभाला।
नॉर्थ कोरिया की ओर जापान नागरिकों के लगातार बढ़ते अपहरण की वजह से दोनों देशों में तनाव की नई स्थिति पैदा हो गई थी। वर्ष 2001 में नॉर्थ कोरियन नागरिकों ने जापान के नागरिकों का अपहरण कर लिया था। आबे जापान की सरकार की ओर से मुख्य मध्यस्थ के तौर पर भेजे गए थे। आबे ने वर्ष 2002 में नॉर्थ कोरिया के उस समय के प्रधानमंत्री और तानाशाह किम जोंग उन इल से मुलाकात की। उनके प्रयासों से संकट सुलझा और उनके चाहने वालों की संख्या बढ़ गई थी।