कृष्णा नदी के उद्गम और इतिहास

भारत में अनेकों नदियां सदियों से अपने प्रवाह में बहती चली आ रही हैं। उन्हीं नदियों में से एक कृष्णा नदी के बारे में इस लेख में विस्तार से जानें।

हमारे देश में नदियों का इतिहास काफी पुराना है और सभी नदियों की अपनी अलग कहानी है। जहां गंगा ने अपने जल से अनगिनत लोगों को पवित्र किया वहीं यमुना और गोदावरी भी कुछ सुनी और अनसुनी बातों की साक्षी बनीं। नदियों की जब भी बात आई भारत हमेशा से सबसे आगे ही रहा।

गंगा, यमुना, सरस्वती की ही तरह भारत की अलग नदियों में से एक है कृष्णा नदी। भारत की सबसे लंबी नदियों में से एक कृष्णा नदी देश के चार राज्यों में बहती है: महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश। यह लगभग 1,300 किमी की दूरी तय करती है और इसलिए यह भारत की सबसे बड़ी नदियों में से एक है। आइए जानें कृष्णा नदी के उद्गम स्थान और इससे जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में।

कृष्णा नदी का उद्गम स्थान और इतिहास

krishna river kahan haiकृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है। ऐसा माना जाता है कि पुराने महाबलेश्वर में कृष्णा बाई मंदिर कृष्णा नदी का जन्म स्थान है। कृष्णा बाई मंदिर एक प्राचीन शिव मंदिर है जहां एक गाय के मुंह से एक धारा निकलती है। ऐसा माना जाता है कि यह धारा ही आगे जाकर कृष्णा नदी बन जाती है। कृष्णाबाई मंदिर महाबळेश्वर (महाबलेश्वर की खास जगहें) में पंचगंगा मंदिर के पास स्थित है। बरसों पुराने इस मंदिर का लुक मानसून के दौरान और भी ज्यादा खूबसूरत लगता है।

भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी

विशेष रूप से, क्षेत्रफल और प्रवाह के मामले में कृष्णा भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी है। इसकी सहायक नदियां  वेन्ना नदी, कोयना नदी, दूधगंगा नदी, भीमा नदी घटप्रभा नदी, मालाप्रभा नदी, तुंगभद्रा नदी, मुसी नदी और डिंडी नदियां हैं। कृष्णा नदी की सबसे बड़ी सहायक नदियां तुंगभद्रा नदी और भीमा नदी है जो भीमाशंकर पहाड़ियों से निकलती है। कृष्णा और उनकी कुछ सहायक नदियां पश्चिमी घाट में अपनी यात्रा शुरू करती हैं। पंचगंगा मंदिर एक 4,500 साल पुराना मंदिर है जहां कृष्णा नदी वेन्ना, कोयना, गायत्री और सावित्री नदियों के साथ गाय (गोमुख) के मुंह से निकलती है। हालांकि ये सभी नदियां बाद में कृष्णा नदी में ही मिल जाती हैं।

पर्यटन की दृष्टि से उपयोगी

krishna river interesting factsकृष्णा नदी  न केवल सिंचाई परियोजनाओं और जल विद्युत परियोजनाओं में बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी लोगों के लिए उपयोगी है। कई लोकप्रिय झरने हैं जो कृष्णा नदी और उसकी सहायक नदियों द्वारा बनते हैं। माणिक्याधरा वाटरफॉल , गोकक  वाटरफॉल, एथिपोथला  वाटरफॉल, कलहटी  वाटरफॉल और मलेला थीर्थम  वाटरफॉल कृष्णा नदी के लोकप्रिय वाटरफॉल  (भारत के 6 बड़े वाटरफॉल्स)हैं।

कृष्णा नदी पर है वन्य जीव अभ्यारण्य

कृष्णा नदी बेसिन सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है और इसमें वन भंडार भी शामिल हैं। भद्रा वन्यजीव अभयारण्य, नागार्जुन-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व, कोयना वन्यजीव अभयारण्य और ग्रेट इंडियन बस्टर्ड अभयारण्य कृष्णा नदी के बेसिन के कुछ शीर्ष वन्य जीव अभ्यारण्य हैं। ये सभी क्षेत्र इस नदी को अन्य नदियों से अलग बनाते हैं। कृष्णा नदी पर सबसे बड़े शहर सांगली, महाराष्ट्र का हल्दी शहर और आंध्र प्रदेश में विजयवाड़ा इसी नदी के तट पर स्थित हैं। कृष्णा नदी  महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट से निकलती हैं और आंध्र प्रदेश के हंसलादेवी गांव में बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं।

इस प्रकार कृष्णा नदी अपने आपमें कई विविधताओं को समेटे हुए निरंतर बहती जा रही है। अगर आप भी कहीं घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो एक बाद इस नदी की खूबसूरती को जरूर देखें।

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