सहारनपुर हिंसा के पीछे काले कपड़े-नीली टोपी:ऐसी ड्रेस में 50-60 लोग मस्जिद के बाहर पहुंचे, शराब पीकर भड़काऊ नारे लगाए; फिर हिंसा भड़क गई

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जुमे की नमाज के बाद हुई हिंसा के पीछे कुछ बाहरी लोग हो सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि शुक्रवार को जामा मस्जिद के बाहर कुछ ऐसे लोग दिखाई दिए थे, जो यहां पहले कभी नजर नहीं आए थे। इन लोगों ने काला कुर्ता-पैजामा और नीली टोपी पहनी हुई थी। ये लोग कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पी रहे थे और मस्जिद से भीड़ के बाहर निकलते ही भड़काऊ नारे लगाने लगे। उसके बाद ही हिंसा भड़की।

नाम न छापने की शर्त पर एक दुकानदार ने बताया कि गुरुवार को ही हम लोगों को अंदाजा हो गया था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों की तरफ से कुछ बड़ी प्लानिंग चल रही है। जिसकी स्क्रिप्ट हलवाई जान, नख्सा बाजार, लोहिनी सराए, कटपीस वाली गली में लिखी जा रही थी।

शुक्रवार को जुमे की नमाज से पहले काले कपड़े और नीली टोपी पहने करीब 50 युवक चौक फव्वारा पहुंच गए थे। यहां इन लोगों ने कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर शराब पी। जैसे ही नमाजी मस्जिद से बाहर आए। इन युवकों ने नारे-ए-तकबीर, अल्लाह हू अकबर के नारे लगाना शुरू कर दिए। जिसके बाद अन्य युवक भी इनके साथ मिल गए और फिर देखते ही देखते सैकड़ों की संख्या हजारों में बदल गई।

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जामा मस्जिद के सामने फलों और सब्जियों की रेहड़ी लगाने वाले मस्जिद में नमाज से कुछ देर पहले ही निकल लिए थे। गुरुवार से ही आपस में कानाफूसी चल रही थी। कुछ बड़ा होने की आशंका थी। लोगों का कहना है कि मस्जिद के सामने सब्जी बेचने वाले कई दुकानदारों में से कुछ ने रेहड़ी नहीं लगाई।

वहीं जिन लोगों ने अपनी रेहड़ी लगाई, वे भी शुक्रवार को सब्जी खरीद कर नहीं लाए थे। गुरुवार को लाई सब्जियां ही शुक्रवार को बेची जा रही थीं। लोगों का कहना है कि इनमें से कुछ लोग नमाज पढ़ने भी नहीं गए थे, जबकि हर जुमे को नमाज पढ़ने के लिए सभी जाते थे।

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