रायपुर निगम परिसीमन का अंतिम प्रकाशन, रविशंकर शुक्ल वार्ड का नहीं बदला नाम, अन्य की बदली सीमाएं
2019 में निगम चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने सभी 70 वाडों का परिसीमन कराया था। 2021 में जनगणना नहीं होने के कारण उस समय भी 2011 की जनसंख्या को आधार मानते हुए परिसीमन किया गया था। वार्डों के क्षेत्रफल और जनसंख्या में असमानता बताते हुए अब 2024 में नए सिरे से फिर परिसीमन हुआ है।
- रायपुर के पं. रविशंकर शुक्ल वार्ड को लेकर था सबसे ज्यादा विवाद
- रायपुर नगर निगम के परिसीमन में कुल 22 वार्डों का बदला नंबर
- महापौर पार्षदों ने परिसीमन को लेकर HC में दायर की है याचिका
रायपुर। रायपुर नगर निगम के परिसीमन में पं. रविशंकर शुक्ल वार्ड को लेकर सबसे ज्यादा विवाद था। परिसीमन के अंतिम प्रकाशन में इस वार्ड को ज्यों का त्यों रखा गया है। दावा आपत्ति में इस वार्ड को लेकर सबसे ज्यादा लोगों ने विरोध जताया था। बाकी 69 वार्डों की जनसंख्या में बदलाव हुआ है। वहीं अधिकांश की सीमाएं इधर से उधर हुई हैं।
कुछ वार्डों की सीमाएं स्पष्ट नहीं थी, जिन्हें भी अंतिम प्रकाशन में स्पष्ट कर दिया गया है। साथ ही 2011 की 10.48 लाख जनसंख्या के आधार पर हुए परिसीमन में 12 हजार से लेकर 16 तक जनसंख्या का खाका वार्डों के लिए सेट किया गया है।
दावा अपत्ति की अवधि में रविशंकर शुक्ल वार्ड का नाम बदलने व मूर्ति स्थापना को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी, जिसके बाद वार्ड का नाम बदला नहीं गया। हालांकि परिसीमन में वार्ड की संख्या 35 से बदलकर 34 हो गई है। परिसीमन में कुल 22 वार्डों का नंबर बदला है।
साथ ही करीब 53 हजार वोटर्स का वार्ड भी बदला है। बता दें कि परिसीमन से शहर के करीब चार लाख वोटर प्रभावित होंगे। निगम चुनाव से पहले अब इन वोटरों को मतदाता सूची और आधार कार्ड को अपडेट कराना होगा। वहीं बीते दिनों महापौर सहित 30 पार्षदों ने हाई कोर्ट में परिसीमन को लेकर याचिका भी दायर की है।
चार वार्डों के वोटर हुए इधर से उधर
इस परिसीमन में शहरवासियों के साथ पार्षद पर भी बड़ा प्रभाव पड़ने वाला है। क्योंकि चार वार्ड के वोटरों को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया है। इससे उस वार्ड के पार्षदों को अपनी जमीन नए सिरे से तलाशनी पड़ेगी। कई नेताओं के वोटर्स शिफ्ट होने से उनके लिए राजनीतिक संकट गहरा गया है।
जिसे लेकर लगातार विरोध किया जा रहा था, लेकिन अब परिसीमन का अंतिम प्रकाशन भी हो गया है। अब देखने वाली बात यह होगी कि हाईकोर्ट से निगम के पार्षदों को राहत मिलती है कि नहीं। वहीं, जनता को भी खासी मशक्कतों का सामना करना पड़ेगा। क्योंकि अब फिर से राशन कार्ड सहित अन्य दस्तवेजों में पता बदलवाना पड़ेगा।
2029 से पहले फिर होगा परिसीमन
2019 में निगम चुनाव से पहले कांग्रेस सरकार ने सभी 70 वाडों का परिसीमन कराया था। 2021 में जनगणना नहीं होने के कारण उस समय भी 2011 की जनसंख्या को आधार मानते हुए परिसीमन किया गया था। वार्डों के क्षेत्रफल और जनसंख्या में असमानता बताते हुए अब 2024 में नए सिरे से फिर परिसीमन हुआ है।
वहीं, केंद्र सरकार ने 2025 में जनगणना कराने का आदेश पहले ही जारी कर दिया है। जनगणना होने की दशा में 2029 के चुनाव से पहले शहर का फिर से परिसीमन होगा और उस समय फिर लोगों को पता, राशन कार्ड सहित अन्य दस्तावेज बदलवाने पड़ेगे।