निर्जला एकादशी व्रत आज है या 11 जून को? न करें ये काम, जाने महत्व पूजा विधि……
इस बार दो दिन की एकादशी तिथि पड़ रही है, लोगों के मन में शंका है कि 10 जून यानी आज या कल निर्जला एकादशी का व्रत रखें या नहीं. अगर आप भी ऐसा सोच रहे हैं तो जान लें कि इस बार निर्जला एकादशी का व्रत 11 जून को रखा जाएगा. पूरे वर्ष में 24 एकादशी तिथि होती है। इन सभी एकादशियों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। निर्जला एकादशी व्रत ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है।
सभी एकादशी व्रत में से निर्जला एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी एकादशी व्रत का फल मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार इस व्रत को महाबली भीम ने भी किया था, जिसके कारण इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। जानिए क्या है निर्जला एकादशी व्रत की सही तिथि? इस व्रत का महत्व, पूजा की विधि और शुभ मुहूर्त आगे पढ़ें।
निर्जला एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त, पारण का समय (निर्जला एकादशी 2022 पूजा शुभ मुहूर्त पारन समय)
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी की शुरुआत: 10 जून, शुक्रवार, सुबह 07:25 बजे से।
ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का समापन: 11 जून, शनिवार, प्रातः 05:45 बजे।
वरियन योग: सुबह से 11:36 बजे तक।
रवि योग: सुबह 05:23 से अगले दिन, 11 जून, शनिवार, सुबह 03:37 बजे तक।
दिन का शुभ समय: सुबह 11:53 से दोपहर 12:48 बजे तक।
निर्जला एकादशी व्रत का पारण समय: 11 जून, शनिवार, दोपहर 01:44 बजे से शाम 04:32 बजे तक।
उदय तिथि के कारण दोनों दिन यानी 10 और 11 जून को उपवास रखा जा सकता है। लेकिन 11 जून को निर्जला एकादशी का व्रत और 12 जून को पारण करना अधिक शुभ माना जाता है। वहीं जो लोग 10 जून का व्रत कर रहे हैं वे 11 जून को पारण कर सकते हैं.
निर्जला एकादशी पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
सबसे पहले घर के मंदिर में दीपक जलाना चाहिए।
गंगाजल से भगवान विष्णु का अभिषेक करने के बाद फूल और तुलसी के पत्ते चढ़ाने चाहिए।
सात्त्विक चीजें भगवान को अर्पित करनी चाहिए
इसके बाद आरती करनी चाहिए और निर्जला एकादशी व्रत कथा को पढ़ना चाहिए या चुनना चाहिए।
इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए।