दाल छौंकने से लेकर सब्जी बनाना तक पड़ेगा महंगा
क्या आप दाल को जीरा से तड़का लगाते हैं या फिर सब्जी बनाते वक्त इसका उपयोग करते हैं. यदि ऐसा है तो ये खबर आपके लिए खास है. जी हां…जीरा खाने वालों की जेब अब ढ़ीली होने वाली है. दरअसल जीरा के दाम आने वाले दिनों में और बढ़ सकते हैं. देश में जीरा के पैदावार की कमी आयी है. वहीं इसका एक्सपोर्ट बढ़ा है जिसकी वजह से इसकी कीमत पहले ही 70 प्रतिशत बढ़ चुकी है.
बाजार के जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में जीरा की कीमत में 20 से 25 प्रतिशत का उछाल देखा जा सकता है. गुजरात के ऊंझा में देश की सबसे बड़ी मंडी जीरा की है. यहां के जीरा कारोबारी इसकी बढ़ती कीमत से परेशान हैं. 19 मई को यहां जीरा का हाजिर दाम 195 से 225 रुपये प्रति किलोग्राम था. जीरा पिछले साल इस वक्त 140 से 160 रुपये के करीब बाजार में उपलब्ध था.
moneycontrol डॉट कॉम ने बाजार के हाल पर खबर प्रकाशित की है जिसके अनुसार आने वाले दिनों में जीरा की कीमत और बढ़ेगी. ऊंझा एग्रीकल्चर प्रोड्यूज मार्केट कमेटी के चेयरमैन करते बताया है कि बाजार में इस साल जीरे का आवक घटी है. हर साल अमूमन 80 से 90 लाख बोरी मंडी में आती थी. एक बोरी में 55 किलो जीरा रहता है. इस साल यह आंकड़ा 50 से 55 लाख बोरी रहने का अनुमान है.
यहां चर्चा कर दें कि जीरा की खेती अक्टूबर से दिसंबर में शुरू होती है. जीरा की कटाई फरवरी से अप्रैल के बीच होती है. देश का गुजरात और राजस्थान जीरा की खेती का क्रेंद है. ऊंझा बाजार की बात करें तो यहां 60 प्रतिशत जीरा राजस्थान से आता है जबकि 40 प्रतिशत गुजरात से आता है. राजस्थान के जोधपुर, नागौर और जैसलमेर में जीरा की खेती जोरदार तरीके से की जाती है. वहीं गुजरात के साबरकांठा बनासकांठा सौराष्ट्र और कच्छ में इसकी खेती जोरों से किसान करते हैं.
ऊंझा एग्रीकल्चर प्रोड्यूज मार्केट कमेटी के वाइसचेयरमैन की मानें तो जीरा लंबी उछाल ले सकता है. उन्होंने कहा कि आगामी मॉनसून भी अगर कमजोर रहता है तो जीरा की कीमत 300 रुपये तक जा सकती है. बताया जा रहा है कि इस साल किसानों ने जीरा की खेती कम की है और इसकी जगह उन्होंने दूसरी रबी की फसल को खेती के लिए चुना है.