कैसे Ratan Tata के जिगरी दोस्त बन गए Shantanu Naidu? बेस्ट फ्रेंड को आखिरी मैसेज लिखकर हुए भावुक

Ratan Tata को अपना गुरु और बेस्ट फ्रेंड मानने वाले शांतनु नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लिंक्डइन पर एक भावुक पोस्ट लिखा है। उन्होंने रतन टाटा को याद करते हुए लिखा कि इस दोस्ती ने अब मुझमें जो खालीपन छोड़ दिया है उसे भरने की कोशिश में मैं अपनी पूरी जिंदगी बिताऊंगा। आइए पढ़ते हैं कि Shantanu Naidu कैसे रतन टाटा के दोस्त बन गए।

HIGHLIGHTS

  1. साल 2014 में हुई थी दोनों की मुलाकात।
  2. शांतनु के विचार से प्रभावित हुए थे रतन टाटा।
  3. रतन टाटा और शांतनु का कोई पारिवारिक संबंध नहीं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Ratan Tata। दिग्गज उद्योगपति और टाटा संस के मानद प्रमुख रतन टाटा का बुधवार रात को निधन हो गया। वह 86 वर्ष के थे। उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। पूरा देश उन्हें नम आंखों से विदाई दे रहा है।

वहीं, पिछले कुछ सालों से उनके साथ साये की तरह दिखने वाले शांतनु नायडू (who is shantanu naidu) ने भी उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए एक भावुक पोस्ट लिखा है।

कौन हैं शांतनु नायडू?

30 वर्षीय शांतनु नायडू से रतन टाटा हमेशा प्रभावित रहे। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियोज वायरल हुए जहां शांतनु और रतन टाटा एक साथ दिखे। दोनों के बीच जबरदस्त बॉन्डिंग दिखती थी। सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ ज मानों दोनो दोस्त हों।

रतन टाटा के जन्मदिन पर शांतनु नायडू का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो में शांतनु नायडू रतन टाटा को केक खिलाते और उनके कंधे पर हाथ रखते हुए दिख रहे थे। रतन टाटा और शांतनु का कोई पारिवारिक संबंध नहीं है।

पुणे में जन्मे शांतनु  ने 2014 में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की। इसके बाद, उन्होंने 2016 में कॉर्नेल जॉनसन ग्रेजुएट स्कूल ऑफ मैनेजमेंट से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की।

अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद नायडू ने पुणे में टाटा एलेक्सी में ऑटोमोबाइल डिजाइन इंजीनियर के रूप में अपना करियर शुरू किया। लिंक्डइन प्रोफाइल के मुताबिक शांतनु जून 2017 से टाटा ट्रस्ट में काम कर रहे हैं। इसके अलावा नायडू ने टाटा एलेक्सी में डिजाइन इंजीनियर के तौर पर भी काम किया है।

कैसे हुई थी शांतनु और रतन टाटा की दोस्ती?

शांतनु ने साल 2014 में टाटा एलेक्सी में अपने कार्यकाल के दौरान तेज गति से चलने वाले वाहनों के कारण कुत्तों की मौत के मुद्दे को उठाया। रतन टाटा को इस बात की जानकारी मिली और उन्होंने शांतनु से मिलने का विचार किया। इसके बाद दोनों की मुलाकात हुई और शांतनु के विचारों से रतन टाटा काफी प्रभावित हुए। इसके बाद दोनों के बीच अच्छी बॉन्डिंग बन गई।

फिलहाल शांतनु, टाटा ट्रस्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर के रूप में देश भर में काफी लोकप्रिय हैं। वह एक प्रसिद्ध भारतीय व्यवसायी, इंजीनियर, जूनियर असिस्टेंट, डीजीएम, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर, लेखक और उद्यमी हैं।

शांतनु ने एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम I came upon a lighthouse है। इस किताब में उन्होंने रतन टाटा की जिंदगी से जुड़ी कुछ पहलुओं का जिक्र किया है।

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