सोयाबीन की आवक मंडियों में बढ़ी, किसानों को नहीं मिल रहे अच्छे भाव

मध्य प्रदेश को सोया प्रदेश कहते हैं, लेकिन यहां के किसानों को सोयाबीन के भाव ठीक नहीं मिल रहे हैं। सरकार की तरफ से सोयाबीन के तेल के आयात पर शुल्क बढ़ा दिया गया था, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके। हालांकि, इसका उल्टा असर उपभोक्ताओं पर पड़ा, जिन्हें अब सोयाबीन का तेल महंगा मिल रहा है।

HIGHLIGHTS

  1. बीते एक सप्ताह में सोयाबीन में 300 रुपये की मंदी आई है।
  2. सोयाबीन के भाव 3900 से 4700 रुपया क्विंटल मिल रहा है।
  3. समर्थन मूल्य में बेचने के लिए किसान नहीं करा रहे रजिस्ट्रेशन।

उज्जैन। इन दिनों जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन की कटाई तेजी से चल रही है। मंडी नीलामी में 7000 बोरी की आवक होने लगी है। मगर, किसान भाव को लेकर निराश हैं।

नीलामी में किसानों को सोयाबीन के भाव 3900 से 4700 रुपया क्विंटल मिल रहा है। बीते एक सप्ताह में करीब 300 रुपया क्विंटल की मंदी बताई गई। सोया प्रदेश में किसानों को सोयाबीन के भाव के लाले पड़ रहे हैं।

किसान संघ से लेकर कांग्रेस के जन आंदोलन असफल हो गए। सरकार तेल के आयात शुल्क बढ़ाकर भी किसानों के सोयाबीन के भाव नहीं बढ़ा पाई। उल्टा उपभोक्ता का तेल तो महंगा हो गया, लेकिन सोयाबीन में मंदी बनी हुई है।

फिलहाल नहीं दिख रही तेजी

मंडी नीलामी में अधिकांश सोयाबीन 3,900 से 4,300 रुपया क्विंटल बिक रही है। इस सोयाबीन में नमी ज्यादा रहती है। 12 फीसद नमी वाली सोयाबीन के भाव 4500 से 4700 रुपया क्विंटल चल रहे हैं। बता दें बीते सप्ताह ऊंचे में सोयाबीन 4,900 रुपया क्विंटल से भी अधिक भाव में बिक चुकी है।

अभी मंडी में अधिकांश सोयाबीन नमी वाली आ रही है, जिसे प्लांट वाले स्टाक नहीं कर सकते। उसे क्रशिंग कर तेल और सोया खली बनाकर तत्काल बिक्री करना पड़ती है। ऐसे में भाव अधिक मिलना संभव नहीं है। दशहरे के बाद सोयाबीन की आवक क्वालिटी के साथ बढ़ जाएगी। तेजी की स्थिति वर्तमान में दिखाई नहीं दे रही है।- संदीप सारड़ा, कारोबारी।

पंजीयन में रुचि नहीं दिखा रहे किसान

किसानों से सोयाबीन को समर्थन मूल्य 4,892 रुपया क्विंटल में खरीदी के लिए सरकार तैयारी कर रही है। मगर, किसानों का रुझान पंजीयन में कम दिखाई दे रहा है। 25 सितंबर से 8 अक्टूबर तक जिले में मात्र 4,840 किसानों ने पंजीयन करवाया है।

पंजीयन की अंतिम तारीख 20 अक्टूबर है। नेफेड की डीएमओ स्वाति राय ने बताया कि पंजीकृत किसानों से सोयाबीन की खरीद करने के लिए 1,600 बारदान की गठान आ चुकी है। 25 अक्टूबर से खरीदी शुरू की जा सकती है।

किसानों की मानें तो सरकार ने खरीदी का लक्ष्य काफी कम रखा है। उत्पादन का 40 फीसद खरीदी की योजना बताई जा रही है। ऐसे में बाकी 60 फीसद सोयाबीन तो मंडी में ही बेचनी पड़ेगी। ऐसे में किसान सरकारी तोल कांटो पर परेशान नहीं होना चाहता। लिहाजा, किसान पंजीकरण में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं।

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