खून चूसने वाली मक्खी फैला सकती है खतरनाक बीमारी… डेंगू के बाद अब चांदीपुरा वायरस का खतरा

मध्‍य प्रदेश के धार जिले में धार जिले में गुजरात से लौटे एक व्यक्ति में चांदीपुरा वायरस के लक्षण मिलने पर राजधानी भोपाल सहित मध्य प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। डॉक्‍टरों का कहना है कि इस खतरनाक वायरस का कोई विशेष इलाज नहीं है। समय रहते इस बीमारी का पता लगा लिया जाए तो उपचार आसान है।

HighLights

  1. मप्र स्‍वास्‍थ्‍य‍ विभाग ने जारी किया अलर्ट। धार में मिला है एक संदिग्ध मरीज।
  2. तेज बुखार के साथ रक्त स्त्राव और एनीमिया हैं इस बीमारी के प्रमुख लक्षण।
  3. माइग्रेशन से बढ़ सकती है परेशानी, डेंगू और स्वाइन फ्लू का खतरा भी मंंडराया।

भोपाल। मध्‍य प्रदेश के भोपाल शहर में अब डेंगू के बाद खून चूसने वाली मक्खी (फ्लेबोटोमस) भी खतरा बन रही है। यह मक्खी जानलेवा चांदीपुरा वायरस का संक्रमण फैलाती है। बच्चों में होने वाली यह बीमारी जानलेवा हो सकती है। दरअसल, गुजरात सहित देशभर में चांदीपुरा वायरस के मामले सामने आ रहे हैं।

नहीं मिला कोई केस

धार जिले में गुजरात से लौटे एक व्यक्ति में इस वायरस के लक्षण मिलने पर भोपाल सहित मध्य प्रदेश में भी अलर्ट जारी कर दिया गया है। हालांकि इस वायरस का एक भी केस नहीं मिला है। स्वास्थ्य विभाग ने इस वायरस को लेकर सतर्कता बरतते हुए एडवाइजरी जारी की है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस मौसम में स्वाइन फ्लू का खतरा भी बढ़ जाता है।

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18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों को होता है असर

विभाग द्वारा एडवाइजरी में कहा गया है कि वायरस का असर 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चों पर होता है। इस वायरस से वेक्टर कंट्रोल और जन जागरूकता से बचाव किया जा सकता है। वायरस के लक्षण के आधार पर संदिग्ध मामलों को बड़े स्वास्थ्य संस्थानों में रेफर किया जाए। मवेशियों के आश्रय स्थल में छिड़काव के भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही डाक्टरों और कर्मचारियों को बिना बताए अवकाश पर न जाने के निर्देश दिए गए हैं।

इसलिए पड़ा चांदीपुरा वायरस नाम

  • यह बीमारी ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाने वाली विशेष मक्खी फेलोबोटेमस से फैलता है।
  • इसे सेंडफ्लाई भी कहते हैं जो घरों और दरवाजों की दरारों में अपना घर बनाती है।
  • फ्लेबोटोमस आकार में मच्छर से भी कई गुना छोटी (1.5 मिमी) होती है।
  • बहुत छोटा आकार होने से फ्लेबोटोमस सामान्य रूप से दिखाई नहीं देती।
  • जानकारी के अनुसार फ्लेबोटोमस आम मक्खियों के उलट खून चूसती है।
  • 1966 में पहली बार नागपुर के चांदीपुर में इस वायरस की पहचान हुई थी, इसलिए इसका नाम चांदीपुरा वायरस पड़ गया।

(जेसी पालीवाल, कीट विज्ञानी से मिली जानकारी के अनुसार)

इस खतरनाक वायरस का कोई विशेष इलाज नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इस बीमारी का पता लगा लिया जाए, तो अस्पताल में भर्ती करने के साथ ही अन्य लक्षणों से राहत दिलाने के लिए सही इलाज किया जा सकता है। हालांकि भोपाल में यह वायरस नहीं है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है।– डाॅ. प्रभाकर तिवारी, सीएमएचओ

चांदीपुरा वायरस के लक्षण

  • चांदीपुरा वायरस बीमारी की शुरूआत अक्सर तेज बुखार के साथ होती है।
  • बुखार के बाद दौर पड़ना, दस्त और उल्टी जैसी तकलीफ हो सकती है।
  • अंगों में सुस्ती, अंगों की गति में कमी या मानसिक स्थिति में बदलाव हो सकता है।
  • सांस लेने में दिक्कत, निमोनिया और ब्लीडिंग भी हो सकती है।

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