Sawan 2024: भगवान शिव और बेलपत्र का क्या है संबंध, शास्त्रों में बताया गया है महत्व
मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को नियमित रूप से बेल पत्र चढ़ाने से शिव जी की कृपा प्राप्ति होती है। बेल पत्र कभी भी अशुद्ध नहीं होता है। कहा जाता है कि बेल के पेड़ की जड़ में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती तथा पुष्प में गौरी जी का वास होता है ।
HIGHLIGHTS
- भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र जरूर शामिल करना चाहिए।
- पुराणों के अनुसार, भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय होता है।
- विष का प्रभाव कम करने के लिए दिया गया था शिव जी बेलपत्र।
धर्म डेस्क, इंदौर। Sawan 2024: महादेव स्वभाव से भोले हैं, इसलिए उन्हें भोलेनाथ कहा जाता है। जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। जल्द ही सावन का महीना शुरू होने वाला है। यह माह पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित माना जाता है। आषाढ़ माह के खत्म होने के बाद सावन महीना शुरू होता है। इस बार सावन महीने की शुरुआत बहुत दुर्लभ संयोग में हो रही है।
शिवपुराण के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले विष से संसार संकट में पड़ गया। इसलिए भगवान शिव ने ब्रह्मांड की रक्षा के लिए उस विष को अपने गले में धारण कर लिया। इससे शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और पूरा ब्रह्मांड आग की तरह जलने लगा।
इसके कारण पृथ्वी पर सभी प्राणियों का जीवन कठिन हो गया। सृष्टि के हित में विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र दिए। बेलपत्र खाने से विष का असर कम हो गया, तभी से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई।
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
- सभी देवताओं की पूजा के कई नियम बताए गए हैं। भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के लिए भी शास्त्रों में कुछ नियम हैं।
- इसके अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र हमेशा चिकनी सतह की तरफ से चढ़ाना चाहिए।
- भगवान शिव को कटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए।
- भगवान शिव को 3 पत्तों से कम का बेलपत्र न चढ़ाएं।
- विषम संख्या जैसे 3,5,7 वाले बेलपत्र ही चढ़ाने चाहिए।
- 3 पत्तों वाले बेलपत्र को भगवान शिव के त्रिदेव और त्रिशूल का रूप माना जाता है।
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