Sakat Chauth 2024: संकटों को हरने वाली संकष्टी चतुर्थी आज, बन रहा ये खास संयोग, जानें मुहूर्त और चांद निकलने का समय
रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। हिंदू पंचाग में संकष्टी चतुर्थी को विशेष महत्व दिया गया है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से सभी तरह के संकटों का निवारण होने की मान्यता है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। इसे तिल चौथ और तिलकुट्टा चौथ भी कहा जाता है। तिलयुक्त जल से स्नान करके इष्टदेवों को तिल, गुड़ का भोग लगाने की परंपरा है।
महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार 29 जनवरी को सूर्योदय से लेकर अगले दिन 30 जनवरी को सुबह 8.55 बजे तक चतुर्थी तिथि विद्यमान रहेगी। 29 जनवरी को चंद्रमा रात्रि 9.15 बजे उदय हो रहा है। परिणामस्वरूप चतुर्थी और चंद्रोदय का अच्छा संयोग बन रहा है। चतुर्थी तिथि 29 जनवरी को सुबह 6.10 बजे से 30 जनवरी को सुबह 8.55 बजे तक रहेगी। रात्रि 9.15 बजे चंद्रोदय होगा।
चंद्रमा और गणेश होते हैं प्रसन्न
मन के स्वामी चंद्रमा और बुद्धि के स्वामी गणेश के संयोग के परिणामस्वरुप संकष्टी चतुर्थी पर व्रत करने से मानसिक शांति, कार्य सफलता, प्रतिष्ठा में वृद्धि, नकारात्मक ऊर्जा खत्म होने में सहायक सिद्ध होती है। इस दिन व्रत और पूजन से वर्ष पर्यंत सुख शांति और समृद्धि का वास होता है। इस दिन गुड और तिल का लड्डू बनाकर उसे पर्वत रूप समझकर दान किया जाता है। गुड़ से गाय की मूर्ति बनाकर पूजा करें। इसे गुड़-धेनु कहा जाता है। रात्रि में चंद्रमा और गणेश की पूजा के उपरांत अगले दिन दान करें।
संकष्टी चौथ का महत्व
चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। इस दिन व्रत और पूजा-पाठ से भगवान गणेश जीवन में सभी तरह बाधाएं को दूर करते हैं। माघ महीने की संकट चौथ का व्रत संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा संकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है। गाय और हाथी को गुड़ खिलाने से अकाल मृत्यु का भय नहीं होता।
ऐसे करें पूजन
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- गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप नैवेद्य, ऋतु फल से गणेशजी का षोडशोपचार विधि से पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्य दें।
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- चंद्रमा को देते समय ओम चंद्राय नमः , ओम सोमाय नमः मंत्र का उच्चारण करते रहना चाहिए।
- 10 महादान करें। इनमें अन्न, नमक, गुड, स्वर्ण, तिल, वस्त्र, गौघृत, रत्न, चांदी, शक्कर का दान करें। इससे दुःख-दारिद्रता, कर्ज, रोग, अपमान से मुक्ति मिलती है।