New Criminal Law: दिल्ली में सड़क पर सामान बेच रहे शख्स पर हुआ पहला केस, पढ़िए नए कानूनों की 10 बड़ी बातें
केंद्र सरकार द्वारा किए कानूनों में बदलाव आज लागू कर दिए गए हैं। इससे पीड़ितों को कई सुविधाएं मिलेंगी। साथ ही न्याय मिलने में होने वाली देरी का भी अंत होगा। बुजुर्गों महिलाओं और बच्चों को जहां घर बैठे पुलिस सुविधा मिलेगी। पीड़ित किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे।
HIGHLIGHTS
- नए कानून के तहत धाराओं में किया गया बदलाव
- महिलाओं और बच्चों लिए किया विशेष प्रावधान
- न्याय प्रक्रिया को भी आसान बनाने का भी प्रयास
New Criminal Law डिजिटल डेस्क, इंदौर। सोमवार से देशभर में तीन नए कानून लागू हो गई है। इससे भारत की न्याय प्रणाली में कई बदलाव किए गए हैं। अब तक चली आ रही भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को बदलकर इसके स्थान पर क्रमश: भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू किया गया है।
दिल्ली में भी नए कानून के तहत रेहड़ी वाले पर नए कानून के तहत एफआईआर दज की गई है। इन कानूनों से क्या बदलाव होगा, आपको यहा बताते हैं।
कहीं भी दर्ज हो सकेगी एफआईआर
अब कोई भी व्यक्ति किसी भी थाने में एफआईआर दर्ज करा सकेगा, भले ही अपराध संबंधित थाना क्षेत्र में न हुआ हो। इससे कानूनी कार्रवाई में हाने वाली देरी खत्म होगी। इसके साथ ही गिरफ्तार हुए व्यक्ति को भी यह अधिकार दिया गया है कि वह अपनी गिरफ्तारी की स्थिति की जानकारी अपनी पसंद के किसी भी व्यक्ति को दे सकेगा।
नए कानून के तहत आपराधिक मामलों में पुलिस को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल करना होगी मुकदमा पूरा होने के 45 दिन के भीतर फैसला जारी किया जाएगा। इसके साथ ही 60 दिन के अंदर आरोपी पर दोष तय होंगे। दुष्कर्म के मामलों में पुलिस को सात दिन में मेडिकल रिपोर्ट पेश करना होगी।
महिलाओं और बच्चों से जुड़े कानून
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों को धारा 63 से 99 तक परिभाषित किया गया है। अब धारा 63 के तहत दुष्कर्म का मामला दर्ज होगा। जबकि सामूहिक दुष्कर्म का मामला धारा 70 के तहत दर्ज होगा। नाबालिग से दुष्कर्म अथवा सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फांसी की सजा तक का प्रावधान है। शादी का झांसा या वादा कर संबंध बनाने वाले अपराध को दुष्कर्म की परिभाषा में नहीं रखा गया है।
देशद्रोह का दर्ज होगा मामला
नए कानून में आतंकवादी गतिविधियों को भी परिभाषित किया गया है। इसके चलते अब राजद्रोह के जगह देशद्रोह शब्द का उपयोग किया गया है।
निशुल्क मिलेगा उपचार
महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के मामले में पीड़ित को निशुल्क उपचार सुविधा मिलेगी।
इन सबूतों को प्राथमिकता
नए कानून में ऑडियो-वीडियो के माध्सम से जुटाए गए सबूतों को प्राथमिकता दी गई है। इसके साथ ही भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, जो पहले सीआरपीसी थी, उसमें भी धाराओं को बढ़ाया गया है।
बुजुर्गों को घर बैठे पुलिस सुविधा
नए कानून में महिलाओं, 15 साल से छोटे बच्चों और 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। इसमें उन्हें थाने नहीं आना और घर बैठे पुलिस सहायता मिलेगी।
अपील करने पर रोक
नए कानून के अनुसार हाईकोर्ट से किसी अपराधी को किसी मामले में तीन माह या उससे कम की जेल या 3 हजार रुपये तक का जुर्माना या दोनों की सजा मिलती है, तो वह इसे ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दे सकेगा। साथ ही सेशन कोर्ट से तीन महीने या उससे कम की जेल या 200 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा मिलने पर भी इसे चुनौती नहीं दी जा सकेगी।
कैदियों के लिए हैं ये प्रावधान
अगर किसी अपराधी पर किसी मामले में मुकदमा चल रहा है, लेकिन वह एक तिहाई से ज्यादा सजा काट चुका है, तो उसे जमानत का लाभ मिलेगा। हालांकि, यह प्रावधान सिर्फ पहली बार अपराध करने वाले कैदियों पर ही लागू होंगा।
सजा में हो सकेगा बदलाव
नए कानून में फांसी की सजा को उम्र कैद में बदलने का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही उम्रकैद की सजा को 7 साल की जेल में बदला जा सकेगा।