Low Heart Rate: सोते समय इन बातों को न करें नजरअंदाज, बढ़ सकती है हार्ट प्रॉब्लम
सोते समय अगर स्लो हार्ट रेट की समस्या है, तो इस पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
HIGHLIGHTS
- स्लो हार्ट रेट को न करें नजरअंदाज
- कई तरीके अपनाकर दूर कर सकते हैं समस्या
- स्लो हार्ट रेट बन सकती है बड़ी समस्या
Low Heart Rate हेल्थ डेस्क, इंदौर। हमारी दिनचर्या के कारण शरीर में आए दिन कुछ न कुछ परिवर्तन होते हैं। हालांकि कुछ परिवर्तनों को नजरअंदाज करना हमें भारी भी पड़ सकता है, इनमें से एक है स्लो हार्ट रेट (Slow Heart Rate) यानी सोते समय हार्ट रेट का काफी कम हो जाना। यदि इसे नजरअंदाज करें तो यह हार्ट प्रॉब्लम में बदल सकती है। इस लेख में आपको इस समस्या के लक्षण और इससे बचने के उपाय बताते हें।
स्लो हार्ट रेट को ब्रैडीकार्डिया (Bradycardia) कहा जाता है। नारायणा अस्पताल के कार्डियक सर्जरी विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ ललित कपूर की माने तो एथलीट और बेहतर स्वास्थ्य वाले लोगों के लिए हार्ट रेट 60 बीट प्रति मिनट (बीपीएम) से कम होना कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन यह हार्ट रेट यदि किसी मोटे व्यक्ति अथवा हार्ट संबंधी समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को तो उसके लिए यह खतरे की घंटी बन सकती है।
क्यों होती स्लो हार्ट रेट?
स्लो हार्ट रेट का कारण बढ़ती उम्र भी हो सकती है। दरअसल, बढ़ती उम्र के साथ ही हृदय के प्राकृतिक पेसमेकर, सिनोट्रियल (SA) नोड प्रभावी रूप से कार्य नहीं पाते, जिससे सोते समय हार्ट रेट स्लो हो जाती है। इसके अलावा कुछ हृदय संबंधी दवाएं भी इसका कारण हो सकती है। वहीं थायरॉयड लो भी इन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
क्या है लक्षण?
यदि आप सुबह उठते से ही थकान महसूस करते हैं, तो यह स्लो हार्ट रेट का लक्षण हो सकता है। इसके साथ ही सीने में दर्द और घबराहट भी इसके लक्षण है।
क्या है उपचार?
तनाव न लें
तनाव के कारण स्लो हार्ट रेट की समस्या हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि आप मेडिटेशन और ब्रीदिंग एक्सरसाइज अथवा योग के जरिए इस समस्या को कम कर सकते हैं।
डिहाइड्रेशन से बचें
डिहाइड्रेशन की समस्या के चलते स्लो हार्ट रेट की समस्या हो सकती है, ऐसे में जरूरी है कि आप आपकी बॉडी को हमेशा हाइड्रेट रखें।
नियमित कसरत करें
नियमित कसरत करते रहने से भी ब्रैडीकार्डिया की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
हेल्दी डाइट लें
स्लो हार्ट रेट की समस्या खत्म करने का सबसे कारगर उपाय है कि आप हेल्दी डाइट लें।
दवाओं पर दें ध्यान
यदि दवाओं के कारण यह समस्या बनी है, तो डॉक्टर से परामर्श कर इसमें बदलाव करें।