Swati Maliwal Assault Case: आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका खारिज, स्वाति मालीवाल ने बताया था जान का खतरा
सुनवाई के दौरान स्वाति मालीवाल कोर्ट में मौजूद रहीं। उन्होंने खुद भी और उनके वकील ने अपना पक्ष रखा।
HIGHLIGHTS
- 13 मई को स्वाति मालीवाल पर सीएम हाउस में हुई थी कथित अभद्रता
- पुलिस ने केजरीवाल के पीए बिभव कुमार को किया था गिरफ्तार
- यहां पढ़िए बिभव कुमार के वकील और दिल्ली पुलिस की दलीलें
एजेंसी, नई दिल्ली (Bibhav Kumar Bail Hearing)।
बिभव कुमार के वकील की दलीलें
तीस हजारी कोर्ट के कमरा नंबर 119 में सुनवाई हो रही है। शुक्रवार को बिभव की हिरासत खत्म हुई थी। उसे 18 मई को गिरफ्तार किया गया था।
बिभव कुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने बताया कि जमानत याचिका विचार योग्य है। तीस हजारी कोर्ट के पास जमानत याचिका पर सुनवाई का अधिकार है।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया, घटना वाले दिन स्वाति मालीवाल को सुरक्षाकर्मियों ने रोका। उन्होंने उनसे पूछा कि क्या वे एक सांसद को इंतजार कराएंगे? वह प्रतीक्षा कक्ष में बैठीं थीं और सुरक्षाकर्मियों से बिभव कुमार से बात करने को कहा।
बिभव कुमार के वकील ने आगे कहा, वह (स्वाति मालीवाल) एफआईआर में जो बता रही हैं, वह सच नहीं है। यह एफआईआर तत्काल दर्ज नहीं की गई।। तीन दिन बाद एफआईआर दर्ज की गई।
एन हरिहरन ने तर्क दिया कि महत्वपूर्ण अंग पर कोई गंभीर चोट नहीं है, तो गैर इरादतन हत्या का सवाल कहां है? चोटें खुद को पहुंचाई जा सकती हैं। आरोपों से उन्हें निर्वस्त्र करने के इरादे का मामला नहीं बनता है।
कोर्ट में जब घटनाक्रम वाले दिन स्वाति मालीवाल के सीएम हाउस से बाहर निकलने का वीडियो दिखाया गया तो वे रो पड़ीं। बिभव के वलीक ने आगे कहा, ये पूरी एफआईआर बाद में सोच-विचार का नतीजा है। मैं केवल जमानत की मांग कर रहा हूं, बरी करने की नहीं। पुलिस पहले ही सीसीटीवी जब्त कर चुकी है। इसलिए सबूतों से छेड़छाड़ का कोई मामला ही नहीं है।
दिल्ली पुलिस ने रखा अपना पक्ष, दी ये दलीलें
इसके बाद दिल्ली पुलिस के वकील ने अपनी दलीलें पेश की। कोर्ट को बताया गया कि स्वाति मालीवाल को इस तरह पीटा गया कि उनके शर्ट के बटन भी टूट गए। यह उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाला मामला है।
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) ने कहा, स्वाति मालीवाल द्वारा एफआईआर में देरी हुई, क्योंकि शिकायतकर्ता ने पुलिस को पूरी घटना का खुलासा नहीं किया। इसके बाद भी पुलिस अधिकारी ने घटनास्थल का दौरा किया।
इस दौरान कोर्ट ने पूछा, पुलिस आरोपियों का फोन क्यों देख रही है? दिल्ली पुलिस की ओर से कोर्ट को बताया गया कि आरोपी ने अपना आईफोन फॉर्मेट करने के बाद पुलिस को सौंपा, यह टेम्परिंग है। आरोपी अपने फोन को फॉर्मेट करने के लिए मुंबई गया था। हम आगे की पुलिस हिरासत की मांग करते हैं। हम जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हैं।
स्वाति मालीवाल के एडवोकेट ने भी रखा अपना पक्ष
इस दौरान स्वाति मालीवाल के वकील माधव खुराना ने भी अपनी बात रखने की कोशिश की। एडवोकेट माधव खुराना ने कहा कि पीड़ित को सुनवाई का अधिकार है।
एडवोकेट खुराना ने दलील दी कि पीड़ित को नोटिस जारी किए बिना जमानत अर्जी पर सुनवाई नहीं की जा सकती। इस दौरान जज के सामने स्वाति मालीवाल भी अपने वकील के साथ खड़ी रहीं।
एडवोकेट खुराना ने कहा कि यदि स्वाति ने जबरन घुसने की कोशिश तो पुलिस को बुलाया जाना चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं किया। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, चार दिन बाद भी शरीर पर चोट के निशान थे। इससे चोट की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में रखा अपना पश्र
स्वाति मालीवाल ने भी कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि मेरा बयान दर्ज करने के बाद आप नेताओं ने प्रेस सम्मेलन आयोजित किया। मुझे बीजेपी का एजेंट कहा गया.
मालीवाल ने बिभव के बारे में कहा कि वह कोई साधारण आदमी नहीं हैं, वह मंत्रियों की दी जाने वालीं सुविधाओं का उपयोग करते हैं। उनके पास एक बड़ी ट्रॉल मशीनरी है। यदि आरोपी को जमानत पर रिहा किया गया तो मुझे और मेरे परिवार को खतरा होगा।