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Vat Savitri Vrat 2024: क्यों रखा जाता है वट सावित्री व्रत, पढ़िए पौराणिक कथा

सावित्री की मुलाकात द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुई, जिससे विवाह करने की इच्छा से वह अपने पिता के पास पहुंची। सत्यवान अल्पायु थे।

HIGHLIGHTS

  1. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए यह व्रत रखती हैं।
  2. राजर्षि अश्वपति की एक पुत्री थी जिसका नाम सावित्री था।
  3. इस साल यह व्रत 6 जून 2024 के दिन रखा जाएगा।

धर्म डेस्क, इंदौर। Vat Savitri Vrat 2024: वट सावित्री व्रत को सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का हिंदू धर्म में बहुत महत्व होता है। इस साल यह व्रत 6 जून 2024 के दिन रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से परिवार के सदस्यों को तरक्की मिलती है और जीवन सुखमय होता है।

सावित्री से जुड़ी है कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, राजर्षि अश्वपति की एक पुत्री थी जिसका नाम सावित्री था। कुछ वर्षों के बाद जब उसकी बेटी बड़ी हो गई, तो उसने उसका विवाह करने का विचार किया। उन्होंने अपनी बेटी के लिए योग्य वर की तलाश की, लेकिन उसकी तलाश पूरी नहीं हुई इसलिए उन्होंने अपनी बेटी से उसकी पसंद का वर ढूंढने को कहा।

कुछ समय बाद सावित्री की मुलाकात द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से हुई, जिससे विवाह करने की इच्छा से वह अपने पिता के पास पहुंची। सत्यवान अल्पायु थे, जिसकी जानकारी देवर्षि नारद ने उनके पिता राजा अश्वपति को दी।

यह सुनकर उन्होंने सावित्री को विवाह न करने की सलाह दी। इसके बावजूद भी सावित्री नहीं मानी और विधि-विधान से सत्यवान से विवाह किया। विवाह के तुरंत बाद उनके पति की मृत्यु हो गई, जिनकी आत्मा को लेकर यमराज पृथ्वी छोड़कर परलोक चले गए।

यमराज से मांगे तीन वरदान

यह देखकर सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने उसे रोकने के लिए सब कुछ किया। लेकिन सावित्री नहीं मानी। इसके बाद यमराज ने उन्हें तीन वरदान मांगने के लिए ललचाया।

अपने पहले वरदान में, सावित्री ने सास-ससुर के लिए आंख की ज्योति मांगी। दूसरी इच्छा में उसने खोया हुआ राज्य मांगा। वहीं, तीसरे वरदान में सावित्री ने अपनी तीव्र बुद्धि का प्रयोग किया और कहा, यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो मुझे सौ बच्चों की मां बनने का आशीर्वाद दें। यह वरदान सुनकर यमराज ने तथास्तु कहा और आगे बढ़ने लगे।

इसके बाद भी सावित्री यमराज के पीछे-पीछे चलती रही। उसे अपने पीछे आता देखकर यम देव ने कहा, ‘हे देवी! अब तुम्हें क्या चाहिए?’ उनकी बात सुनकर सावित्री ने कहा, ‘आपने मुझे मां बनने का आशीर्वाद तो दिया है, लेकिन पति के बिना मैं मां कैसे बन सकती हूं?’ यह सुनकर यमराज दंग रह गए और उन्होंने तभी सत्यवान को पाश से मुक्त कर दिया। तभी से विवाहित महिलाएं वट सावित्री का व्रत करने लगीं, ताकि सावित्री की तरह वे भी सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’

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