गर्मियों में ठंडक पहुंचाने वाला पेय है मोहितो, पीकर देखें बीयर भूल जाएंगे

क्यूबा का नाम सुनते ही याद आती है, बिंदास क्रांतिकारी नेता फिदेल कास्त्रो की और चे ग्वेरा जैसे उनके जांबाज साथियों की, जिन्होंने 1959 में इस देश को अमेरिका के पूंजीवादी आधिपत्य से ‘आजाद’ कराया। भले ही क्यूबा अमेरिका का उपनिवेश न रहा हो, लेकिन इसके प्राकृतिक संसाधनों पर अमेरिकी कंपनियों का ही कब्जा था और राजधानी हवाना रईस और भोग-विलासी अमेरिकियों का ऐशगाह बन चुकी थी। ‘बनाना रिपब्लिक’ जैसे अपमानजनक विशेषण ऐसे राज्यों के लिए इस्तेमाल किए जाते थे। क्रांति के पहले क्यूबा मशहूर था, अपने नायाब सिगारों के लिए और ‘मोहितो’ जैसे हल्के मादक पेय पदार्थों के लिए।

खानपान के जानकारों के अनुसार, मोहितो संसार में सबसे ज्यादा बिकने वाले कॉकटेल्स में पहले स्थान पर है। कॉकटेल यानी ऐसा पेय, जिसमें थोड़ा ही सही, एक अंश किसी शराब का होता है। यह शराब अधिकतर रम या वोदका अथवा जिन होती है, पर इसे व्हिस्की के साथ भी बनाया जा सकता है। जो लोग शराब से परहेज करते हैं, उनके लिए ‘मॉकटेल’ बनाने की परंपरा है। यह बात मोहितो पर भी लागू होती है। कुछ वैसे ही जैसे ब्लडी मैरी से वोदका निकाल उसका चिरकुमारी अवतार वर्जिन मैरी प्रकट होता है।

मोहितो गर्मियों में ठंडक पहुंचाने वाला पेय है। इसलिए इसमें अल्कोहल की मात्रा बहुत कम या नगण्य होती है। 200 मिलीलीटर वाले ‘टॉम कॉलिन्स’ नामक गिलास में पांच फीसदी के आसपास। इसे आप अन्य कॉकटेल्स की तरह त्रिवेणी पेय भी कह सकते हैं। इसमें सफेद रम के अलावा नींबू का रस, चीनी की चाशनी भी शामिल होती है। पुदीने की हरी पत्तियों को मसलकर बर्फ के टुकड़ों पर रखकर फिर ऊपर से मोहितो के तरल साझीदार उड़ेले जाते हैं। इसे ‘ऑन दि रॉक्स’ परोसना कहा जाता है।

यदि आप मोहितो को बिना रम के तैयार कर रहे हैं, तो आप अपनी पसंद के किसी फल के रस का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि इस जूस की मात्रा नुस्खे में सुझाई रम की मात्रा से अधिक न हो! आप मोहितो पीना चाहते हैं, फल का जूस नहीं। यह जूस कुदरती हो तो बेहतर। बोतलबंद रस में कृत्रिम रंग, गंध, स्वाद, अतिरिक्त चीनी और संरक्षक रहते हैं, जो मोहितो का पूरा आनंद नहीं लेने देंगे। जिन लोगों को मिठास अच्छी नहीं लगती, वे इसमें ‘एंगोस्टुरा बिटर्स’ की कुछ बूंदे मिला सकते हैं। यह बिना शराब के तैयार किया जाता है, संतरे के छिलकों तथा सुवासित मसालों से। यह मोहितो को हल्का गुलाबी रंग दे देता है।

बहरहाल, इस बारे में विद्वान एकमत नहीं कि मोहितो का अविष्कार और नामकरण कैसे हुआ। कुछ का मानना है कि जब दिलेर अन्वेषक फ्रांसिस ड्रेक दक्षिणी अमेरिकी क्षेत्र में पहुंचे, तो उनके नाविक पेचिश और विटामिन-सी की कमी से वह स्कर्वी रोग से परेशान थे। किसी ने बताया कि इस द्वीप के मूल निवासियों के पास इसकी दवा है। कच्ची रम और नींबू के रस की खुराक ने बीमारों को चंगा कर दिया! सख्त कड़क शराब का बुरा स्वाद मारने के लिए, उसमें चीनी घोलने की जरूरत महसूस हुई। दूसरी राय यह है कि यह कहानी मनगढं़त है, वास्तव में यह शीतल पेय गन्ने के बागानों में खटने वाले गुलाम-बंधुवा मजदूरों की ईजाद है, जिसे बाद में रईसों ने अपना लिया।

कैलिप्सो संगीत तथा सांबा नृत्य की तरह मोहितो हिस्पानी और अफ्रीकी-रेड इंडियन कहलाने वालों की संकर संतान है। शीतल पेय का हल्का मादक होना अचरज की बात नहीं। अपने देश में नीरा-ताड़ी हो, हंडिया अथवा ठंडाई, सभी इस गुण से संपन्न हैं। बेलगाम नशाखोरी से कहीं बेहतर है, मोहितो कॉकटेल या मॉकटेल से अपनी प्यास बुझाना। आजकल जो बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कंपनियां हल्की बीयर, वाइन या ब्रीजर बाजार में उतार रही हैं, उनको घर की बनी मोहितो आसानी से पछाड़ सकती है!

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