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Mandi Lok Sabha Seat: कंगना रनौत को विक्रमादित्य सिंह की संभावित चुनौती, भाजपा ने तैयार की रणनीति

HIGHLIGHTS

  1. बीजेपी के विद्रोहियों की होगी वापसी शुरुआत मंडी से।
  2. भाजपा उम्मीदवार कंगना रनौत की जीत पक्की करने की रणनीति।

रोहित नागपाल, शिमला। Mandi Lok Sabha Seat: मंडी लोकसभा सीट में दो युवा उम्मीदवारों के बीच कांटे की टक्कर होने की संभावना है। बीजेपी ने एक्ट्रेस कंगना रनौत को मैदान में उतारा है। कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को टिकट दे सकती है। विक्रमादित्य की युवा वर्ग में मजबूत पकड़ है। ऐसे में कंगना और उनके बीच करीबी मुकाबला हो सकता है। विक्रमादित्य सिंह के चुनावी में उतरने की चर्चा के बीच बीजेपी ने अपनी रणनीति पर जोर देना शुरू कर दिया है।

कंगना की जीत पक्की करने की रणनीति

2022 के विधानसभा चुनाव में बागी रहे नेताओं की भाजपा में वापसी होगी। ऐसा राज्यभर में किया जाएगा, लेकिन शुरुआत मंडी क्षेत्र से की जा रही है। निर्दलीय चुनाव लड़ चुके नेताओं को पार्टी के साथ जोड़ा जाएगा। कंगना रनौत को टिकट देने से पूर्व लोकसभा सदस्य महेश्वर सिंह नाराज थे। हालांकि अब वह मान गए हैं। उनके बेटे दानवेंद्र सिंह को पार्टी का पदाधिकारी बनाया गया है। साथ ही दूसरे बेटे हितेश्वर सिंह को पार्टी में लाया जाएगा।

पार्टी के विद्रोहियों की होगी वापसी

लाहुल स्पीति में विधानसभा उपचुनाव में टिकट नहीं मिलने से पूर्व मंत्री रामलला मार्कंडेय भी नाराज हैं। उनसे बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल ने मुलाकात की। मार्कंडेय ने कांग्रेस से टिकट मांगा हैं, लेकिन जिला कांग्रेस पदाधिकारियों के विरोध के चलते उन्हें टिकट मिलना आसान नहीं है। भाजपा किन्नौर, आनी, सुंदरनगर, मंडी सदर, बंजार और कुल्लू से विद्रोह कर निर्दलीय चुनाव लड़े नेताओं की पार्टी में वापसी करवाएगी।

60 हजार से अधिक वोट मिले

मंडी संसदीय क्षेत्र में बीजेपी ने विद्रोह कर विधानसभा चुनाव लड़े नेताओं ने 60 हजार से अधिक वोट प्राप्त किए थे। इसमें कुल्लू और किन्नौर में भाजपा उम्मीदवार के हार का कारण बागी थे। ऐसे में पार्टी लोकसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती। सरकाघाट से कर्नल इंद्र सिंह चुनाव नहीं लड़े, लेकिन पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए थे।

विक्रमादित्य सिंह को मान रहे मजबूत प्रत्याशी

मंडी से भाजपा उम्मीजवार कंगना रनौत के सामने कांग्रेस विक्रमादित्य सिंह को उतार सकती है। इसको लेकर शिमला से लेकर दिल्ली तक विचार किया जा रहा है। नेता ही नहीं बल्कि जनता भी मान कर चल रहे हैं कि विक्रमादित्य चुनाव जंग को चुनौतिपूर्ण बना सकते हैं।

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