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जानें क्या होती है Food Sequencing, टाइप-2 डायबिटीज कंट्रोल करना है तो ऐसा रखें अपना खानपान

HIGHLIGHTS

  1. कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने के करीब 30 से 60 मिनट बाद ब्लड में ग्लूकोज स्पाइक की स्थिति निर्मित होती है।
  2. शरीर में ग्लूकोज लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है।
  3. डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी ज्यादा नुकसानदायक होती है।

लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। अनियमित दिनचर्या और खानपान में लापरवाही के कारण आजकल अधिकांश लोग टाइप-2 डायबिटीज के कारण परेशान हैं। देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या में इस कारण तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। ऐसे में डाइट के दौरान Food Sequencing का पालन करके भी शरीर में ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल किया जा सकता है। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रही है डाइटिशियन मीना कोरी –

जानें क्या होती है Food Sequencing

हम जब भी खाना खाने के दौरान कार्बोहाइड्रेट का सेवन करते हैं तो इसके करीब 30 से 60 मिनट बाद ब्लड में ग्लूकोज स्पाइक की स्थिति निर्मित होती है। इस दौरान शरीर में ग्लूकोज लेवल बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। यह स्थिति डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी ज्यादा नुकसानदायक होती है। ऐसे में Food Sequencing का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है। Food Sequencing के दौरान इस क्रम में भोजन का सेवन किया जाता है कि समय अंतराल के बाद शरीर में ग्लूकोज स्पाइक की स्थिति निर्मित न हो।

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ऐसे रखें अपनी डाइट

शरीर में ग्लूकोज कंट्रोल के लिए इस बात का ध्यान रखें कि डाइट में ऐसी चीजों का सेवन न करें, जिसमें बहुत अधिक कार्बोहाइड्रेट हो। यदि आप कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्य सामग्री का सेवन करना चाहते हैं तो इससे पहले फाइबर फूड का सेवन करना चाहिए क्योंकि फाइबर खाने से पेट जल्द भर ज्यादा है और आप ज्यादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन नहीं कर पाएंगे। इससे शरीर में ग्लूकोज का लेवल तेजी से नहीं बढ़ेगा।

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाली चीजें खाएं

डायबिटीज के मरीजों को Food Sequencing के अनुसार भोजन करना है और अपनी डाइट में ऐसी चीजों का सेवन पहले करना चाहिए, जिनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। आपको बता दें कि जिन खाद्य सामग्री का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है, वे शरीर में शुगर लेवल तेजी से बढ़ने नहीं देती है।

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