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Diabetes Risks: Sarcopenia के कारण भी बढ़ सकता है मधुमेह का खतरा, इन बातों की रखें सावधानी, जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

HIGHLIGHTS

  1. डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीज को मांसपेशियों की कमजोरी भी महसूस होती है।
  2. यह समस्या 60 वर्ष की उम्र में देखी जाती थी।
  3. अनियमित जीवनशैली और खानपान में लापरवाही के कारण यह समस्या आजकल युवाओं में भी देखी जाने लगी है।

लाइफस्टाइल डेस्क, इंदौर। सार्कोपेनिया एक ऐसी समस्या है, जिसमें मरीज की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। उचित जानकारी व सजगता के अभाव में यह बीमारी डायबिटीज की ओर धकेल देती है। यह बात अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, दिल्ली के एक अध्ययन में सामने आई है। इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं इंटरनल मेडिसिन एम्स, नई दिल्ली के प्रोफेसर डॉ. नवल विक्रम।

मांसपेशियों में कमजोरी

डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित मरीज को मांसपेशियों की कमजोरी भी महसूस होती है। यह समस्या 60 वर्ष की उम्र में देखी जाती थी। अनियमित जीवनशैली और खानपान में लापरवाही के कारण यह समस्या आजकल युवाओं में भी देखी जाने लगी है। डायबिटीज टाइप-2 से पीड़ित 229 मरीजों पर एम्स, दिल्ली में की गई रिसर्च में पता चला है कि ऐसे मरीजों की मांसपेशियां 35-40 की उम्र में ही कमजोर होने लगती हैं।

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जीवनशैली से जुड़ी समस्या

यह एक जीवन शैली से जुड़ी समस्या है। आपको डाइट में संतुलित व प्रोटीन युक्त आहार लेना चाहिए और रोज कम से कम 40 मिनट व्यायाम करना चाहिए। अपने रूटीन में कार्डियो एक्सरसाइज जरूर शामिल करना चाहिए।हाथ में पकड़ महसूस नहीं होती

सार्कोपेनिया को एडवांस मसल लास भी कहा जाता है। इसमें मरीज की हाथ पर पकड़ नहीं महसूस नहीं होती है। मांसपेशियों की कमजोरी इसका प्रमुख संकेत है। गिरने-फिसलने पर हड्डी टूटने का खतरा बढ़ सकता है।

मधुमेह व सार्कोपेनिया का संबंध

सार्कोपेनिया के कारण मोटापा, वजन बढ़ने का खतरा होता है। यह मधुमेह के जोखिम को बढ़ा देता है। सार्कोपेनिया और मधुमेह टाइप-2 का गहरा संबंध है। हमारे शरीर के बड़े हिस्से में मांसपेशियां होती है, जो ग्लूकोज की खपत करती हैं। मांसपेशियों के कमजोर होने के कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है।

ऐसे रखें अपनी दिनचर्या

    • वजन व सक्रियता के आधार पर आहार का सेवन करें। 60 की उम्र है तो हर रोज 55 से 60 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।
    • नाश्ते में अंडे, साबुत अनाज, फल और डेयरी उत्पाद को जरूर शामिल करें।
    • ज्यादा वसायुक्त या मीठे पदार्थ खाने से बचना चाहिए।
  • शरीर में पानी की कमी नहीं होने देना चाहिए।

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